शनिवार शाम प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बच्चों की मौत बेहद दुखद है और जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लापरवाही को लेकर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के निलंबित कर दिया गया है। हमने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। अगर ऑक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई है तो आपूर्तिकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। ऑक्सीजन सप्लार की भूमिका की जांच का जिम्मा मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति को सौंपा गया है।
सीएम योगी ने सफाई दी कि बच्चों की मौत का कारण अलग-अलग है। सिर्फ ऑक्सीजन की कमी सभी मौतों की वजह नहीं है। मीडिया में अलग-अलग आंकड़े जारी हुए हैं, तथ्यों को सही ढंग से रखा जाना चाहिए। इससे पहले इलाहाबाद में एक सभा के दौरान योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गंदगी की वजह से ही देश के बच्चे असमय दम तोड़ रहे हैं। गैस सप्लायर को भुगतान न होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि 11 अगस्त तक कंपनी को भुगतान हो चुका था।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने विगत वर्षों में हुई मौतों का हवाला देते हुए कहा कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त महीने में रोजाना औसतन 18-22 बच्चों की मौत पिछले सालों में भी हो चुकी है। उनका कहना है कि हर साल अगस्त में बच्चों की मौतें होती ही हैं। इस अस्पताल में गोरखपुर के अलावा बिहार और नेपाल के भी मरीज आते हैं जिनकी हालत गंभीर होती है।
सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी दावा किया कि ऑक्सीजन की कमी मौत की वजह नहीं है। बच्चों की मौत के उन्होंंने प्री-मैच्योर और वजन कम होने जैसे कारण भी गिनाए। हालांकि, उन्होंने माना कि 10 तारीख को अस्पताल में कुछ घंटों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई कम हुई थी, जिसे जल्द बहाल कर लिया गया। लेकिन गैस रुकने से कोई मौत नहीं हुई।
अस्पताल के कर्मचारियों ने पहले ही चेताया था
गौरतलब है कि 10 तारीख को बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 23 बच्चों की मौत हुई थी। इसी दिन अस्पताल के पाइन लाइन ऑपरेटरों ने गैस की कमी और भुगतान अटकने की वजह से आपूर्ति ठप होने की जानकारी अस्पताल प्रशासन को दी थी। 10 अगस्त से पहले दिन 9 बच्चों और इससे एक दिन पहले 12 बच्चों की मौत हुई थी, लेकिन अचानक 23 बच्चों के दम तोड़नेे को उसी दिन कथित तौर पर बाधित हुए ऑक्सीजन की आपूर्ति से जोड़कर देखा जा रहा है।
गौरतलब है कि पूवी उत्तर प्रदेश का गोरखपुर क्षेत्र दिमागी बुखार से बुुरी तरह प्रभावित है। इससे हर साल हजारों बच्चों की मौत होती है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मुद्देे के संसद और केंद्र सरकार के समक्ष उठाते रहे हैं। लेकिन इस बार खुद उन्हीं की सरकार बच्चों की मौत के मामले में सवालों से घिर गई है।