जदयू सांसद राजीव रंजन सिंह ने मंगलवार को बिहार जहरीली शराब कांड की एनएचआरसी की जांच पर आपत्ति जताते हुए आरोप लगाया कि संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है। सिंह, जो जेडी (यू) के अध्यक्ष भी हैं, ने लोकसभा में पूछा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) छपरा जहरीली त्रासदी की जांच क्यों कर रहा है।
मुंगेर के सांसद ने कहा, "राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार सरकार को सूचित किया है कि छपरा में जहरीली शराब से हुई मौतों की जांच उनके द्वारा की जाएगी। मानवाधिकार आयोग इसमें कैसे आया?" उन्होंने आरोप लगाया, "संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है।"
हालांकि, पटना साहिब से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एनएचआरसी जांच का समर्थन किया और कहा कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को भी जांच करनी चाहिए। प्रसाद ने कहा, "जहरीली शराब से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई। कोई पोस्ट-मॉर्टम नहीं हुआ, विसरा नहीं रखा गया। एनएचआरसी को वहां जाना चाहिए, बाल आयोग को भी जाना चाहिए क्योंकि मरने वालों में बच्चे, दलित, पिछड़े वर्ग शामिल हैं .... यह गंभीर मुद्दा है।"
इस बीच लोजपा के चिराग पासवान ने बिहार में राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुए आरोप लगाया कि राज्य सरकार जहरीली शराब से मौत की घटनाओं को दबाने की कोशिश कर रही है और महागठबंधन के नेता खामोश बैठे हैं। जनार्दन सिंह सिग्रीवाल (भाजपा) ने बिहार में जहरीली शराब त्रासदी में मारे गए लोगों के लिए मुआवजे की मांग की।
उन्होंने कहा कि एनएचआरसी, बाल अधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग को जहरीली शराब त्रासदी की जांच करनी चाहिए। नीतीश कुमार सरकार ने सोमवार को सारण जहरीली शराब त्रासदी में मरने वालों की संख्या 38 बताई थी। विपक्षी भाजपा नेताओं ने दावा किया है कि मरने वालों की संख्या 100 को पार कर गई होगी। छपरा सारण प्रमंडल का जिला मुख्यालय है।