मणिपुर में जातीय हिंसा के शिकार हुए ‘कुकी जो’ समुदाय के 87 पीड़ितों के शव बुधवार को चुराचांदपुर में दफनाए गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि 14 दिसंबर को इम्फाल के विभिन्न मुर्दाघरों से 41 शव हवाई मार्ग से लाए गए थे, जबकि 46 शव चुराचांदपुर जिला अस्पताल से लाए गए।
निषेधाज्ञा के बावजूद हजारों लोग अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंचे। तुईबुओंग में एक शोक सभा का आयोजन किया गया, जिसके बाद सामूहिक रूप से शवों की अंत्येष्टि की गयी।
शवों को दफनाने को लेकर सोमवार की रात हुई हिंसक झड़प में करीब 30 लोगों के घायल होने के बाद अपराध प्रकिया संहिता की धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगाए गए थे। इससे पहले, 15 दिसंबर को कांगपोकपी जिले में 19 हिंसा पीड़ितों को दफनाया गया था। मणिपुर में इम्फाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक मेइती और पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच मई में जातीय हिंसा भड़क गयी थी।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर सरकार को जातीय हिंसा के अज्ञात पीड़ितों के सम्मानजनक अंत्येष्टि की व्यवस्था करने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सरकार को अज्ञात और लावारिस शवों के "सम्मानजनक अंत्येष्टि" सुनिश्चित करने का आदेश दिया था।
यह आदेश मणिपुर हिंसा के पीड़ितों के मुआवजे और पुनर्वास सहित मानवीय पहलू की समीक्षा करने के लिए एक समिति द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के आधार पर आया है। समिति की रिपोर्ट में अपनी रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य में अभी भी 175 शवों को दफनाया जाना बाकी है, जिनमें से 169 की पहचान हो चुकी है। बाकी में से 81 पर रिश्तेदारों ने दावा किया, 88 पर दावा नहीं किया गया और बाकी छह अज्ञात थे