पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी धर्मवीर सोलंकी ने गुरुवार को कहा कि मजनू-का-टीला के पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता की पंजीकरण प्रक्रिया के लिए 19 मार्च या उसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय का दौरा करने के लिए कहा गया है। सोलंकी ने कहा कि उन्हें भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत करने की प्रक्रिया के बारे में अगले सप्ताह अदालत में आने के बाद सूचित किया जाएगा।
सोलंकी ने पीटीआई को बताया, "हमें पंजीकरण प्रक्रिया के लिए 19 मार्च या उसके बाद उच्च न्यायालय का दौरा करने के लिए कहा गया है। हमारे परिचित वकीलों में से एक ने कल रात हमसे मुलाकात की और इसकी जानकारी दी। खुद को पंजीकृत करने की बाकी प्रक्रिया के बारे में हमें अदालत में आने के बाद सूचित किया जाएगा।"
केंद्र ने सोमवार को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 लागू किया, जिससे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया। उन्होंने आगे कहा कि जो शरणार्थी रह रहे हैं मजनू-का-टीला को सूचित कर दिया गया है कि उन्हें स्थानांतरित नहीं किया जाएगा।
सोलंकी ने पीटीआई-भाषा को बताया, "हमें बताया गया है कि हमें मजनू-का-टीला क्षेत्र से नहीं हटाया जाएगा। यहां तक कि यहां के कई परिवार भी चाहते हैं कि सरकार उन्हें यहीं लाभ प्रदान करे और शिविर विकसित करे।"
सरकार अब तीन देशों के प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों - हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई - को भारतीय राष्ट्रीयता देना शुरू करेगी। राजपत्र अधिसूचना के अनुसार, नियम तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं।