जहां सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ब्रिटिश काल के राजद्रोह कानून की वैधता पर सवाल उठाए और लोगों को गिरफ्तार करने के लिए इसका इस्तेमाल किए जाने की बात कही है। वहीं, इसके विपरीत तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन का हिस्सा रहे कुछ प्रदर्शनकारी किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया है। हरियाणा में सिरसा पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
दरअसल, प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा रविवार को हरियाणा विधानसभा के उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा की कार पर हमले की घटना के संबंध में सिरसा पुलिस ने विभिन्न आरोपों में सौ से अधिक प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध राजद्रोह सहित आईपीसी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया है।
दरअसल, यह घटना हरियाणा में किसानों द्वारा राज्य के विभिन्न स्थानों पर भाजपा नेताओं के कार्यक्रमों को निशाना बनाकर विरोध प्रदर्शन किए जाने के बीच हुई थी। बीते 11 जुलाई को राज्य भर में कई स्थानों पर प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए और सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की।
इस बीच फतेहाबाद में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा लगाए गए अवरोधकों को हटा दिया था और उस स्थान की ओर बढ़ने का प्रयास किया जहां हरियाणा के सहकारिता मंत्री बनवारी लाल और सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल पार्टी के एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। दुग्गल बाद में एक अन्य पार्टी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए सिरसा गयीं जहां हिसार जिले के नलवा क्षेत्र से भाजपा विधायक गंगवा भी मौजूद थे।
काले झंडे लिए किसान चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के बाहर एकत्र हो गए और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिस ने कहा कि कार्यक्रम खत्म होने के बाद जब नेतागण बाहर आ रहे थे, उसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने गंगवा की कार को निशाना बनाया। भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बावजूद कुछ लोगों ने वाहन को घेर लिया।
इस घटना पर सिरसा पुलिस ने कड़ी कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की कई धाराओं के तहत दो किसान नेताओं प्रह्लाद सिंह और हरचरण सिंह के साथ लगभग 100 और किसानों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसमें 124-ए राजद्रोह और 307 हत्या के प्रयास शामिल है।