Advertisement

कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बोले भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीजेपी-जेजेपी सरकार कुछ तो छोड़ दो हरियाणा में!

"हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार नौकरी, व्यापार, जंगल, पहाड़, नदी, नहर, एमएसपी, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य,...
कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बोले भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बीजेपी-जेजेपी सरकार कुछ तो छोड़ दो हरियाणा में!

"हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार नौकरी, व्यापार, जंगल, पहाड़, नदी, नहर, एमएसपी, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य, कानून व्यवस्था, शांति, सुरक्षा, भाईचारा और संस्थाएं खत्म करने में लगी है। अरे भाई! कुछ तो छोड़ दो हरियाणा में", पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आज चंडीगढ़ स्थित आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में किसान, कर्मचारी, व्यापारी, युवा समेत हर वर्ग के महत्वपूर्ण मुद्दों पर विस्तार से चर्चा के साथ 18 तारीख को जींद में होने वाले विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम का भी खाका भी तैयार किया गया।

बैठक के बाद पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार विश्वविद्यालयों की भर्तियों में हस्तक्षेप कर उनकी स्वायत्तता के साथ खिलवाड़ कर रही है। ऐसा करके सरकार ना सिर्फ यूजीसी की गाइडलाइंस और विश्वविद्यालय के नियमों, बल्कि केंद्र की नयी शिक्षा नीति का भी उल्लंघन कर रही है। हुड्डा ने यूजीसी के नियमों और नयी शिक्षा नीति में उल्लिखित नियमों का हवाला देते हुए कहा कि हर विश्वविद्यालय में भर्ती के लिए पहले से उपयुक्त नियम और भर्ती कमेटी मौजूद है। यहां तक कि पिछले विधानसभा सत्र में खुद मुख्यमंत्री ने सदन को आश्वासन दिया था कि सरकार विश्वविद्यालयों की भर्तियां एचएसएससी-एचपीएससी के जरिए नहीं करेगी। बावजूद इसके, सरकार स्वायत्त संस्थाओं के कामकाज में दखलंदाजी कर रही है। इससे न सिर्फ उनके कामकाज पर बल्कि शिक्षा के स्तर पर भी विपरीत असर पड़ेगा। पहले ही हरियाणा की यूनिवर्सिटीज की रैंकिंग लगातार गिरती जा रही है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश के सरकारी स्कूलों में करीब 34000 टीचर्स के पद खाली पड़े हुए हैं। 50% स्कूल ऐसे हैं जहां हेड टीचर तक नियुक्त नहीं है। इस तरफ ध्यान देने की बजाय सरकार शिक्षा के ढांचे को ध्वस्त करने में लगी हुई है।

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी दोनों दलों ने अपने चुनावी घोषणापत्र में किसान की फसल का दाना-दाना एमएसपी पर खरीदने की बात कही थी। लेकिन, आज न बाजरा के किसानों को एमएसपी मिल पाया और न ही धान के किसानों को। इससे परेशान होकर किसान आत्महत्या तक करने की चेतावनी सरकार को दे रहे हैं। रोज किसानों के तरफ से मंडी और सड़कों पर खरीद की मांग को लेकर प्रदर्शन किया जाता है। खरीद के नाम पर किसानों के साथ खिलवाड़ और घोटाला हो रहा है। दूसरे राज्यों से सस्ती धान प्रदेश में आ रही है और प्रदेश के किसानों की खरीद नहीं हो रही है।

डेंगू की वजह से प्रदेश में मरीजों का बुरा हाल है। अस्पतालों में बीमारी से निपटने के लिए ना उपयुक्त बेड हैं, ना पूरा स्टाफ और ना ही जांच व इलाज के उपकरण। स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति सरकार के ढुलमुल रवैये का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेश को केंद्र की तरफ से स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जारी 8.50 हजार करोड़ रुपये में से एक भी पैसा नहीं मिला। जबकि, पड़ोसी राज्य पंजाब को 400 और हिमाचल को करीब 100 करोड रुपये मिले। हरियाणा को कोई फंड इसलिए नहीं मिला, क्योंकि प्रदेश सरकार ने केंद्र को आवेदन ही नहीं किया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad