पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने केंद्र सरकार को एक विशेष मामले के तौर पर प्रवासी कामगारों की कमी के मद्देनजर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) अधीन काम करने वाले कार्ड धारकों को पंजाब में रबी/खरीफ सीजन 2020-21 के दौरान दोनों फसलों के लिए खेतों में काम करने की अनुमति देने के लिए मांग की।
मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर अपील की है कि वह ग्रामीण विकास मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश दें। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सुझाव दिया कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श करके प्रति एकड़ (धान और गेहूं के लिए) के लिए काम के दिनों की संख्या तय करके काम करने की अनुमति दी जा सकती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रयास किसानों के लिए बढ़ रही श्रम लागतों को घटाने और ग्रामीण रोजगार को उत्साहित करने में सहायता करने के साथ साथ ऐसे वैश्विक संकट के समय राष्ट्र के लिए खाद्य सुरक्षा को संरक्षित करने में भी मदद करेगी।
धान की रोपाई के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों की कमी खलेगी
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें मिलकर कोविड-19 महामारी से लड़ रही हैं तथा भारत सरकार ने अपने हाल ही के आर्थिक उत्साह पैकेज में मनरेगा अधीन करीब 40,000 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड का ऐलान किया है। खेती आधारित राज्यों, खासकर पंजाब में से प्रवासी कामगार के अपने गृह राज्यों को जाने के कारण कृषी क्षेत्र में कामगार की आ रही कमी की तरफ प्रधानमंत्री का ध्यान आकृषित करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में जून में धान की रोपाई की गतिविधियों के दौरान कृषि कामों पर बुरा प्रभाव पडऩे की संभावना है क्योंकि इन कामों में लगे अधिकतर मज़दूर उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के हैं जोकि सीजन के दौरान आते हैं। कैप्टन अमरिन्दर ने कहा कि बीमारी के बढ़ रहे फैलाव और प्रवासियों के उनके गृह राज्यों में वापसी को देखते हुए ऐसी कोई संभावना नहीं लगती कि आने वाले खरीफ सीजन में प्रवासी कामगार बड़ी संख्या में वापस लौटेंगे।
एनआई एजेंसी इनपुट