केरल के कोल्लम के निकट पुत्तिंगल देवी मंदिर में 10 अप्रैल की अहले सुबह आतिशबाजी की वजह से भड़की आग में सौ से ज्यादा लोग मर गए थे। पुलिस सूत्रों ने बताया कि मंदिर न्यास के अध्यक्ष जयलाल, सचिव जे कृष्णनकुट्टी, शिवप्रसाद, सुरेंद्रन पिल्लई और रविंद्रन पिल्लई ने पुलिस को सूचित किया कि वे आत्मसमर्पण करना चाहते हैं और उन्होंने परवूर के निकट कप्पिल में एक मंदिर के सामने पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं दो अन्य सदस्यों, सुरेंद्रनाथन पिल्लई और मुरगेसन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। मंदिर में हुए हादसे के बाद से ये सभी फरार थे। अपराध शाखा के अधिकारी केरल के पुत्तिंगल देवी मंदिर की प्रबंधन समिति के उन सदस्यों से पूछताछ कर रहे हैं। राज्य के किसी मंदिर में हुए अब तक के सबसे भीषण हादसे में 109 लोगों की मौत हो चुकी है और 350 से अधिक लोग घायल हैं।
जांच शुरू करने वाली अपराध शाखा ने मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों समेत छह लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या की कोशिश), 308 (गैर इरादतन हत्या की कोशिश) और विस्फोटक पदार्थ कानून की धारा 4 के तहत मामला दर्ज किया है। मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्यों के अलावा ठेकेदारों के सहायकों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है जिन्होंने जिला प्रशासन के प्रतिबंध के बावजूद प्रतिस्पर्धात्मक आतिशबाजी की। एक शीर्ष अधिकारी ने कल कहा था कि नियमों के घोर उल्लंघन और प्रतिबंधित रासायनिक पदार्थों के इस्तेमाल से पुत्तिंगल हादसा हुआ। मंदिर अधिकारियों समेत छह लोगों के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज किया गया है। केरल उच्च न्यायालय मंदिर के समारोहों में पटाखे चलाने एवं आतिशबाजी प्रदर्शनी पर प्रतिबंध सबंधी याचिका पर आज सुनवाई करेगा। 100 वर्ष पुराने पुत्तिंगल देवी मंदिर में रविवार तड़के अनधिकृत आतिशबाजी प्रदर्शनी के दौरान एक चिंगारी एक स्टोरहाउस में गिर गई थी जिसमें पटाखे रखे थे। जिस कारण विस्फोट हुए और यह भयावह हादसा पेश आया।