2013 की त्रासदी के लिए भी वे काफी हद तक जलविद्युत परियोजनाओं को ही जिम्मेदार ठहराते हैं। एनजीटी और कुछ एनजीओ की आपत्तियों के बाद ऐसे मामले अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। एनजीटी का कहना है कि वन एवं पर्यावरण के प्रावधानों के अनुपालन के बाद ही इन परियोजनाओं को मंजूरी मिलनी चाहिए। हालांकि केंद्र, राज्य सरकार और उत्तराखंड जलविद्युत निगम ने अदालत में हलफनामा दाखिल करके कहा है कि परियोजनाओं के निर्माण में सभी प्रावधानों का पालन किया जा रहा है।
दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने वर्ष 2005 से 2010 के बीच दो दर्जन से अधिक जलविद्युत परियोजनाओं की मंजूरी दी। तीस हजार करोड़ की लागत वाली इन परियोजनाओं के पूरा होने से 2,94,480 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। गैर सरकारी संगठनों की ओर से एक-एक कर 24 छोटी-बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का मामला अदालत में पहुंच गया।