आर्थिक मंदी के दौर में प्रदेश सरकार ने सूबे में कार्य कर रहे 25 हजार होमगार्डों को बड़ा झटका दिया है। पुलिस विभाग में तैनात 25 हजार होमगार्डों की सेवाएं तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई हैं। एडीजी पुलिस मुख्यालय बीपी जोगदंड ने इस संबंध में आदेश जारी किया है। इससे पुलिस विभाग में सेवाएं दे रहे 25 हजार होमगार्ड बेरोजगार हो गए हैं। इतना ही नहीं, उनकी ड्यूटी में भी कटौती की गई है। अब उन्हें 25 दिन के बजाय 15 दिन ही काम मिलेगा।
कानून-व्यवस्था को ध्यान में रखकर पुलिस विभाग में रिक्तियों के सापेक्ष करीब एक साल पहले होमगार्डों की सेवाएं लेने का फैसला किया गया था। एडीजी पुलिस मुख्यालय ने आदेश में कहा है कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में 28 अगस्त को हुई बैठक में होमगार्डों की तैनाती समाप्त करने का फैसला किया गया था। आदेश में कहा गया है कि होमगार्डों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं के लिए मानदेय के रूप में भुगतान की जाने वाली धनराशि का आंकलन माहवार कराकर एक हफ्ते के अंदर पुलिस मुख्यालय को बताएं।
आंकलन चार्ट पर जनपद प्रभारी का नाम और पदनाम सहित स्वयं का हस्ताक्षर होना चाहिए। इस आदेश से पुलिस थानों और ट्रैफिक नियंत्रण में होमगार्डों की तैनाती समाप्त हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद की जा रही छंटनी
होमगार्डों का दैनिक भत्ता 500 से बढ़ाकर 672 रुपये करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यह छंटनी की जा रही है, क्योंकि सरकार बजट बढ़ाने को तैयार नहीं है। प्रदेश में लगभग 90 हजार होमगार्ड हैं। पुलिस विभाग के इस फैसले से 25 हजार होमगार्ड कम हो जाएंगे।
लाभ के बजाय हो रहा नुकसान
होमगार्डों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश का लाभ मिलने के बजाय नुकसान होने जा रहा है। जिलों में होमगार्डों को रोटेशन के आधार पर ड्यूटी मिलती थी। इससे प्रत्येक होमगार्ड को करीब 25 दिन का काम मिलता था। अब 25 हजार ड्यूटी खत्म होने से रोटेशन में एक होमगार्ड को महीने में अधिकतम 15 दिन का ही रोजगार मिल पाएगा।
प्रदेश में मिलेगा बेरोगारी को बढ़ावा
होमगार्डों के पदों में कटौती होने से ट्रैफिक व्यवस्था पर असर पड़ना तय है। साथ ही प्रदेश में बेरोजगारी को बढ़ावा मिलेगा। आर्थिक मंदी के दौर में केंद्र सरकार जहां विभिन्न जतन कर रही है। वहीं, प्रदेश सरकार के इस फैसले से बेरोजगार हो रहे होमगार्डों के परिवारों के पालन पोषण का भी संकट उत्पन्न होगा।