सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के उभ्भा गांव में 17 जुलाई को जमीन विवाद में हुए नरसंहार में लापरवाही बरतने वाले सीओ घोरावल, थाना प्रभारी घोरावल, हल्के के दरोगा और कांस्टेबल को संस्पेंड कर दिया गया है। वहीं अब तक मुख्य आरोपी उभ्भा के ग्राम प्रधान और उसके भतीजों सहित 26 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मामले में लापरवाही बरतने वाले राजस्व विभाग के अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक समिति का गठन किया गया है जिसकी रिपोर्ट मिलने पर दोषी राजस्व अधिकारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस घटना की नींव 1955 में तब पड़ गई थी, जब ग्राम समाज और किसानों की जमीन सोसायटी के नाम पर कागजों में हेराफेरी कर चढ़ा दी गई थी। इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। आदर्श सोसायटी की जमीन लोगों के नाम पर करना और बाद में ग्राम प्रधान के नाम पर करना गलत है।
इससे पहले एडीजी जोन और मंडलायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। सोनभद्र मामले को लेकर मानसून सत्र में विपक्ष ने सरकार पर जमकर हमला बोला। विपक्ष के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई, लेकिन सपा, बसपा और कांग्रेस के नेताओं ने मामले को लेकर मुख्यमंत्री से इस्तीफे की भी मांग की।
इस घटना की नींव साल 1955 में पड़ गई थी
आदित्यनाथ ने कहा कि घटना की कार्रवाई के लिए तुंरत निर्देश दिए गए और दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया, जिन्होंने घटना के 24 घंटे के अंदर रिपोर्ट सौंप दी है। सीएम ने कहा कि इस घटना की नींव साल 1955 में तब पड़ी थी, जब तत्कालीन तहसीलदार ने आदर्श सहकारी समिति के नाम पर ग्राम समाज की जमीन दर्ज करने का गैरकानूनी काम किया।
11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज
बता दें कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में जमीन से जुड़े विवाद को लेकर हुए नरसंहार में ग्राम प्रधान सहित 11 नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है और नरसंहार में इस्तेमाल किए गए हथियारों को पुलिस ने बरामद कर लिया है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल,17 जुलाई बुधवार को सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के मूर्तिया गांव में जमीन कब्जाने को लेकर फायरिंग हुई थी। गांव के बाहरी इलाके में सैकड़ों बीघा खेत है जिस पर गांव के कुछ लोग पुश्तैनी तौर पर खेती करते आ रहे हैं। गांव वालों के मुताबिक इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा प्रधान के नाम पर है। ग्राम प्रधान यज्ञदत्त ने एक आईएएस अधिकारी से 100 बीघा जमीन खरीदी थी।
यज्ञदत्त ने इस जमीन पर कब्जे के लिए बड़ी संख्या में अपने साथियों के साथ पहुंचकर ट्रैक्टरों से जमीन जोतने की कोशिश की। स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया। इसके बाद ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों ने गांव वालों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई, जबकि 23 लोग घायल हुए हैं। सोनभद्र कांड से सूबे की योगी सरकार सवाल के घेरे में है।