राज्य में मानव-वन्यजीव संघर्ष में बीते दिनों 22 बाघों के साथ ही तेंदुए, भालू, जंगली सुअर, सियार आदि भी मारे गए हैं।
आंकड़ों के अनुसार 2011-12 के दौरान जंगली जानवरों के हमलों में 51 लोग मारे गए और 12-13 तथा 13-14 में 48 लोग मारे गए। 14-15 में यह संख्या बढ़कर 52 हो गई। इसी क्रम में 11-12 में 3,181 लोग 12-13 में 2,906, 13-14 में 2,092, 14-15 में ।,334 और 15-16 में ।,442 लोग घायल हुए। ऐसी ही घटनाओं में 25,344 मवेशी भी मारे गए।
राजधानी भोपाल शहर के बाहरी इलाके की मानव बस्तियों में भटकते चार बाघ लोगों के लिए खतरा बने हुए हैं। गत 19 नवंबर को होशंगाबाद जिले के बगदा वन परिक्षेत्र में एक बाघिन रिहाइशी इलाके में घुस गई और भगाने में असफल भीड़ के सामने ही 17 वर्षीया लड़की को दबोच मार डाला। वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे मानव एवं वन्यजीवों के बीच संघर्ष के बढ़ने का बड़ा कारण वनक्षेत्र के सिकुड़ने और बढ़ते मानवीय अतिक्रमण को मानते हैं।
खतरा बने और पालतू पशुओं को मारने की खबरों के सवाल पर राज्य के मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जितेन्द्र अग्रवाल ने एजेंसी को बताया कि इसकी वजह जंगलों के बिलकुल नजदीक भवनों का निर्माण किया जाना है। मानव एवं बाघ के इलाके को विभाजित करने वाला बफर एरिया सिकुड़ता जा रहा है। उन्होंने कहा, हमने भोपाल के आसपास चार कैमरे लगा रखे हैं, जो मानव एवं जंगली जानवरों के बीच संघर्ष को टालने के लिए चौबीस घंटे कड़ी निगरानी कर रहे हैं। उनके मुताबिक भोपाल वन मंडल में शावकों सहित कुल 10 जंगली बाघ हैं। वन्यजीवों की मौतें ज्यादातर जहर देने या करंट लगने से हुई, जिन्हें किसान अपनी फसल बचाने के लिए या शिकारी शिकार करने के मकसद से लगाते हैं।
भाषा
सेन शाहिद सुजाता प्रादे9
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