दलितों के ये सभी परिवार दो साल पहले तक बंसकअनथा जिले के घदा गांंव में रहते थे। लेकिन अब ये 15 किलोमीटर दूर सोदापुर में रहने को मजबूर हैं। यहां इन लोगों के पास करने को कोई खास काम नहीं है। लोगों के मुताबिक, उनके गांव में छूआछूत इतने बड़े पैमाने पर है कि इसकी वजह से एक शख्स की जान तक ले ली गई थी। ये दलित परिवार भी वहां लगभग 100 बीघे जमीन पर खेती किया करते थे।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार इन दलित परिवारों ने बताया कि छुआछूत से परेशान होकर उनके परिवार की लड़कियों के साथ-साथ लड़कों ने भी स्कूल जाना छोड़ दिया। स्कूल में भी उनके साथ भेदभाव होता था और बच्चे उनसे बोलने को तैयार नहीं होते थे। पीड़ितों ने बताया कि 9 साल पहले रमेश नाम के दलित युवक को गांंव के मंदिर में चले जाने के कारण ट्रेक्टर से कुचलकर मार दिया गया थ।
इसके बाद गांव वालों ने सरकारी दफ्तरों के बाहर 5 साल तक प्रदर्शन किया। आखिर में दो साल पहले इन सबको सोदापुर में शिफ्ट कर दिया गया।
पिछले दिनों उना में गोहत्या के शक में दलितों की पिटाई के बाद गुस्सा फूट पड़ा था। इसके विरोध में कई दलितों ने आत्महत्या की कोशिश की और विरोध-प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा था कि दलितों की रक्षा और सम्मान हमारा कर्तव्य है। लेकिन इन दलित परिवारों की स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।