सबरीमला मंदिर में 10 से 50 साल तक की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश का विवाद अभी भी नहीं सुलझा है। इस बीच दो दिन पहले एक और खबर आई थी कि चार किन्नरों को इसलिए मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा कि वे साड़ी पहन कर भगवान अयप्पा के मंदिर में आना चाहती हैं। लेकिन रविवार को चार किन्नरों ने इस लड़ाई को जीत लिया। चारों किन्नरों ने साड़ी पहन कर मंदिर में प्रवेश किया और भगवान अयप्पा के दर्शन भी किए। दो दिन पहले मंदिर प्रबंधन ने चारों ट्रांसजेंडरों के प्रवेश पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि यदि ये लोग साड़ी पहन कर मंदिर में प्रवेश की कोशिश करेंगी तो उन्हें प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
सुबह चारों श्रद्धालु अपनी पसंदीदा पोशाक साड़ी में एर्नाकुलम से निकलीं। आठ बजे कड़ी सुरक्षा के बीच चारों ने पंबा से चढ़ाई शुरू की। जब वे लोग 9.45 पर सुरक्षा घेरे के साथ ऊपर पहुंचे तो किसी ने विरोध नहीं किया और चारों ने शांतिपूर्ण ढंग से दर्शन किए।
चारों श्रद्धालुओं ने इच्छा प्रकट की थी कि वे साड़ी पहन कर मंदिर में जाना चाहती हैं। इसके लिए उन्होंने कोट्टायम एसपी को एक आवेदन भी दिया था। बाद में ये लोग हाइ कोर्ट भी पहुंचे थे जहां कोर्ट ने तीर्थयात्रियों पर निगरानी के लिए डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस ए. हेमचंद्रन सहित तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। बाद में इन्हीं में से एक ट्रांसजेंडर अनाया ने एजेंसी को बताया कि उन्हें न सिर्फ दर्शन की अनुमति मिली बल्कि साड़ी पहनने पर भी रोक नहीं लगी।
इसी साल नवंबर की 27 तारीक को केरल हाइ कोर्ट ने सबरीमला तीर्थयात्रा पर निगरानी रखने के लिए तीन सदस्यी का निगरानी पैनल बनाया था ताकि आने वाली अनगिनत शिकायतों का निवारण किया जा सके।
हेमचंद्र के साथ इस पैनल में हाइ कोर्ट के दो रिटायर्ड जज पी. आर. रमन और एस. श्रीजगन भी हैं। यह कमेटी सबरीमला तंत्री और पंडलम रॉयल फैमिली के साथ संपर्क में हैं।