अधिकारी ने कहा कि ऐसा करके मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को देश के सबसे बड़े राज्य में चुनाव की तैयारियों के लिए बहुत थोड़ा समय मिलेगा। अभी हमारा सारा ध्यान निर्वाचन सूचियों के पुनरीक्षण कार्य पर है। उन्होंने कहा कि हम विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची को दो जनवरी को होने वाले प्रकाशन के आधार पर तैयार कर रहे हैं। इसी सूची के आधार पर ही राज्य के विधानसभा चुनाव कराये जाने हैं।
चुनाव तिथियों की घोषणा के लिए आयोग को मतदाता सूची के प्रकाशन का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। हालांकि अभी यह तय नहीं हो पाया है कि प्रदेश के विधानसभा चुनाव कितने चरणों में कराये जाएंगे। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम सुचारु रूप से चल रहा है और इस काम के लिए निर्वाचन आयोग की ओर से लक्ष्य को पूरा किया जाएगा। आयोग ने इस बार मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर युवा और महिलाओं को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
उत्तर प्रदेश के साथ ही देश के पंजाब, गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड में भी जनवरी के अंतिम सप्ताह से मार्च के पहले हफ्ते के बीच राज्य विधान सभा के चुनाव हो सकते हैं। आयोग को पहले चरण के चुनाव की तिथियों की घोषणा के 45 दिन में पहले चरण का मतदान कराना होता है। चुनाव की तिथि की घोषणा के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है और विकास कार्य थम जाते हैंं।