गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल द्वारा पाहिंद संस्कार ( यात्रा से पहले सड़क को सांकेतिक रूप से साफ करने की परंपरा) संपन्न करने के बाद भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा की रथयात्रा शहर के जमालपुर क्षेत्र स्थित 400 वर्ष पुराने मंदिर से शुरू हुई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सुबह हुई मंगल आरती (दिन की पहली पूजा) में हिस्सा लिया।
इस रथयात्रा में 18 हाथियों, 100 ट्रक, 30 धार्मिक समूह, 18 गायन मंडली, तीन रथ और सात कारें शामिल थीं। पटेल ने बाद में ट्वीट किया रथयात्रा हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और आस्था का प्रतीक है। गुजरात के लोगों की शांति, समृद्धि और खुशहाली के लिए भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की।
सांप्रदायिक दंगों के गवाह रहे इस शहर में करीब 30 वर्ष बाद संयोग से एक ही दिन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और ईद उल फित्र का त्योहार मनाया गया। दोनों धर्म के अनुयायियों ने त्योहार मनाये जाने के दौरान किसी भी तरह की अप्रिय घटना से बचने का वादा किया। दोनों समुदायों के धार्मिक नेताओं ने एक दूसरे को बधाई दी तथा मिठाई और फूल भेंट किए। इफ्तार के दौरान जगन्नाथ मंदिर के महंत दिलीप दासजी महाराज मुस्लिम मौलवियों के पास गए और इस्लाम के अनुयाइयों ने भगवान को फूल एवं मिठाई चढ़ाई। रथयात्रा के कालूपुर, प्रेम दरवाजा, दिल्ली चकला, दरियापुर और शाहपुर जैसे संवेदनशील इलाकों से गुजरने को देखते हुए राज्य सरकार ने सुरक्षा की अभूतपूर्व व्यवस्था की है।
शहर में दोनों त्योहार शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो, इसके लिए यूएवी, सीसीटीवी कैमरे और 20,000 पुलिसकर्मियों को लगाया गया है। अहमदाबाद में हुई मुख्य रथयात्रा के अलावा राज्य भर में भावनगर, सूरत, वडोदरा, आनंद और राजकोट जैसे बड़े शहरों समेत अन्य जगहों में 146 अन्य रथयात्रााएं आयोजित की गई हैं। इन शहरों में भी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।