सबरीमाला मंदिर को लेकर केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन की ओर से गुरूवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक बेनतीजा रहा। कांग्रेस और भाजपा ने सरकार से कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले को लागू करने के लिए और समय मांगे। इसके दोनों दलों ने बैठक से वॉकआउट कर दिया। वहीं सरकार का कहना है कि वह कोर्ट के फैसले को लागू कराने के लिए बाध्य है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सीएम पी. विजयन ने कहा कि राज्य सरकार कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ कदम नहीं उठा सकती है। हम श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करते हैं। वे कोर्ट के फैसले को लागू करने को लेकर बाध्य हैं।
इससे पहले, केरल सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी ताकि सबरीमाल मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर हो रहे विरोध को लेकर कोई सर्वदलीय बैठक में कोई फैसला लिया जा सके।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु-वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के अपने फैसले पर बुधवार को रोक लगाने से इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक वकील ने न्यायालय के 28 सितंबर के फैसले पर रोक लगाने का अनुरोध किया। इस पर पीठ ने कहा कि 22 जनवरी तक इंतजार करें, जब संविधान पीठ पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने मंगलवार को ही चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं की विवेचना करने के बाद इन पर 22 जनवरी को सुनवाई करने का फैसला किया था। पीठ ने इसके साथ ही साफ किया था कि इस दौरान शीर्ष अदालत के 28 सितंबर के फैसले और आदेश पर कोई रोक नहीं रहेगी।
अधिवक्ता मैथ्यूज जे नेदुंपरा ने इस मामले का उल्लेख किया था। उन्होंने ‘नेशनल अयप्पा डेवोटीज (वीमेंस) एसोसिएशन’ की ओर से पुनर्विचार याचिका दायर कर रखी है।
शीर्ष अदालत की मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 4:1 के बहुमत से सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की आयु की महिलाओं का प्रवेश वर्जित करने को लैगिंग पक्षपात करार देते हुए इसमें सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति प्रदान कर दी थी।