डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया है। आत्महत्या की वजह या आत्महत्या के तरीके के बारे में जांच चल रही है। 45 वर्षीय कलिखो पुल राज्य के अंजो जिले के हाउलियांग विधानसभा से सन 1995 से निर्वाचित होते आए थे। वे गेगांग अपांग मंत्रिमंडल में भी रहे।
कांग्रेस से बगावत करने के बाद उन्होंने भाजपा के समर्थन से गत 19 फरवरी को अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री में रूप में शपथ ली थी, लेकिन गत 13 जुलाई को उच्चतम न्यायालय ने उनकी सरकार को बर्खास्त कर नाबक टुकी की सरकार को बहाल करने का आदेश दिया था। हालांकि तब भी गुवाहाटी में एक पत्रकार सम्मेलन में दावा किया था कि बहुमत उनके पास है और विधानसभा में वह बहुमत साबित कर देंगे। उन्होंने साठ सदस्यीय विधानसभा में 31 सदस्यों के समर्थन का दावा किया था।
लेकिन नाटकीय घटनाक्रम में सदन में बहुमत साबित करने के ठीक पहले उच्चतम न्यायालय द्ारा मान्य मुख्यमंत्री नाबम टुकी ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के बागी विधायकों की मदद से पेमा खांडु को विधायक दल के नए नेता के रूप में चुन लिया। अपने समर्थक कांग्रेस विधायकों के पलटने के बाद से कलिखो हताश थे। उन्होंने नए मुख्यमंत्री का विरोध नहीं किया, लेकिन इतनी जल्दी मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने और साथ विधायकों की दगाबाजी ने उन्हें कुंठा में भेज दिया। वे मुख्यमंत्री बनने के लिए सब कुछ दांव पर लगा चुके थे। काफी रूपए खर्च किया था।
तीन पहले पेमा मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया था। उसमें कलिखो पुल की सलाह को बहुत महत्व नहीं दिया गया था। जबकि नाबम टुकी कल कई समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है। कलिखो बेहद भावुक नेता थे। उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरूआत भाजपा के साथ की थी। वे कई बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए। बाद में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीते। फिर वे कांग्रेस में शामिल हो गए। लेकिन राजनीतिक तिकड़मबाजी से उन्हें परेशानी होती थी। जबकि वे काफी सरल और मृदुभाषी नेता थे।
यह माना जा रहा है कि उसी कुंठा में उन्होंने इतना बड़ा फैसला लिया। वे पांच बच्चों के पिता थे।