आगामी वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बीजेपी के साथ चल रहे खींचतान के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्तमान राजनीतिक हालात पर तंज कसा है। राज्य के सीएम ने कहा कि आज वोट के लिए समाज का माहौल ऐसा बनाया जा रहा है जिसमें वोटर जाति और सांप्रदायिक आधार पर वोट दें न कि काम के आधार पर।
वर्तमान राजनीतिक हालात पर नीतीश का तंज
सोमवार को पूर्व प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह की 87वीं जयंती के मौके पर नीतीश ने कहा, 'जय प्रकाश नारायण से हमने यह सीखा है कि काम कीजिए और काम करना चाहिए। इसकी परवाह नहीं करना चाहिए कि हमें कौन वोट देगा और कौन वोट नहीं देगा’।
समाज में टकराव का महौल: नीतीश कुमार
न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, उन्होंने कहा, ‘आज जो समाज का माहौल बनाया जा रहा है, वह वोट के लिए बनाया जा रहा है। एक टकराव का माहौल जिसमें वोटर जातीय और सांप्रदायिक आधार पर इधर से उधर हो न कि काम के आधार पर।'
‘सोशल मीडिया के जरिए समाज मेंतनाव का माहौल को बढ़ाया जा रहा’
नीतीश ने कहा कि उन्होंने काम का रास्ता चुना है न कि टकराव का। उन्होंने कहा, 'चुनाव के दिन वोट जिसको जहां देना होगा वहां देगा। हम वोटर की चिंता करते हैं।' बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर जिसको जो मन आ रहा है लिख दे रहा है। सोशल मीडिया के जरिए समाज में प्रेम सद्भावना और सकरात्मक सोच की जगह एक टकराव और तनाव का माहौल को बढ़ाया जा रहा है।
जल्द सुलझेगा सीट बंटवारे का मुद्दा: रामविलास पासवान
इसी दौरान लोक जनशक्ति पार्टी के नेता रामविलास पासवान ने कहा कि बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के सभी घटक दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में सीटों के बंटवारे को लेकर जल्द निर्णय चाहते हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि एनडीए के सभी घटक दलों के बीच सीट साझा का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा।
सीटों के बंटवारे पर उलझती दिख रही बात
गौरतलब है कि बिहार में 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (एनडीए) में सीटों के बंटवारे पर बात उलझती दिख रही है। इस बीच जनता दल (यूनाइटेड) ने एक बड़ा राजनीतिक दांव चला है। उसका प्रस्ताव है कि गठबंधन में शामिल चारों पार्टियों (भारतीय जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी, जेडीयू और आरएलएसपी) को 2015 के विधानसभा में प्रदर्शन के आधार पर सीटें दी जाएं। माना जा रहा हौ कि अगर ऐसा होता है तो सबसे ज्यादा फायदा जेडीयू को होना है क्योंकि उसका प्रदर्शन 2015 के चुनाव में सबसे अच्छा रहा था।