एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि गत वर्ष देश में इस तरह के 8,132 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें पश्चिम बंगाल में 3,576 और राजस्थान में 1,422 मामले थे। राजस्थान के बाद गुजरात में 548, वहीं महाराष्ट्र में 517 मामले दर्ज किए गए।
वहीं, मानव तस्करी मामलों को लेकर केंद्र शासित क्षेत्रों की बात की जाए तो इन क्षेत्रों में कुल 75 में से दिल्ली के ही 66 मामले हैं। हालांकि 2015 की तुलना में राष्ट्रीय राजधानी में ऐसे मामलों की संख्या कम हुई है। 2015 में दिल्ली में इस तरह के 87 मामले दर्ज किए गए थे। दक्षिणी राज्यों में सर्वाधिक मामले तमिलनाडु में 434 और इसके बाद कर्नाटक में 404 दर्ज किए गए।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर, त्रिपुरा, नगालैंड, दादर एंव नागर हवेली, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में मानव तस्करी का एक भी मामला सामना नहीं आया है। उत्तर प्रदेश में मानव तस्करी के 79 और मध्य प्रदेश में 51 मामले दर्ज किए गए। बिहार में 43, ओडिशा में 84 और झारखंड में 109 मामले दर्ज किए गए। आंध्र प्रदेश में 239 और तेलंगाना में 229, जबकि केरल में 21 मामले दर्ज किए गए। अधिकारी ने बताया कि मानव तस्करी पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार ने बांग्लादेश व संयुक्त अरब अमीरात के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया है।