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भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को बड़ा झटका, मुआवजा बढ़ाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को बड़ा झटका दिया है। मंगलवार को यानी आज सुप्रीम कोर्ट...
भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को बड़ा झटका, मुआवजा बढ़ाने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को बड़ा झटका दिया है। मंगलवार को यानी आज सुप्रीम कोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को यूनियन कार्बाइड कंपनी से अतिरिक्त मुआवजा दिलाने वाली केंद्र सरकार की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज करते हुए फटकार भी लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों के मुआवजे में घोर लापरवाही को लेकर फटकारा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार द्वारा आरबीआई के पास पड़े 50 करोड़ रुपये की राशि का उपयोग लंबित दावों को पूरा करने के लिए कहा है।

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि समझौते के दो दशक बाद केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं बनता।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पीड़ितों के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल केंद्र सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए करे।

पीठ ने कहा, ‘‘ हम दो दशकों बाद इस मुद्दे को उठाने के केंद्र सरकार के किसी भी तर्क से संतुष्ट नहीं हैं … हमारा मानना है कि उपचारात्मक याचिकाओं पर विचार नहीं किया जा सकता है।’’

पीठ में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति अभय एस. ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी भी शामिल हैं। पीठ ने मामले पर 12 जनवरी को फैसला सुरक्षित रखा था।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 1984 भोपाल गैस त्रासदी में पीड़ितों के लिए मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए केंद्र की याचिका खारिज किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि मुआवजा काफी था। अगर सरकार को ज्यादा मुआवजा जरूरी लगता है तो खुद देना चाहिए था।

जानें क्या है मामला

बता दें कि 1984 के भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी फर्मों से 7,400 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग को लेकर केंद्र द्वारा क्यूरेटिव पिटीशन दायर की गई थी। वहीं, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वो 1989 में हुए समझौते के अलावा भोपाल गैस पीड़ितों को एक भी पैसा नहीं देगा।

गौरतलब है कि इस त्रासदी में 3,000 से अधिक लोग मारे गए थे और पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचा था।

 

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