मध्य प्रदेश में पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने की घोषणा के बाद बयानों को तीर चलने शुरू हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस फैसले के खिलाफ मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के इंदौर बेंच में राम बहादुर वर्मा नाम के पत्रकार ने याचिका भी दायर की है।
राज्य के कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति लाल भूरिया ने दिल्ली में कहा कि शिवराज सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ मुंह खोलने से रोकने के लिए तुष्टिकरण के प्रयास के तहत पांच संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। दूसरी ओर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम चाहते हैं कि समाज का हर वर्ग विकास और लोगों के कल्याण के लिए काम करे। इसी के तहत समाज के हर वर्ग को साथ लाने के लिए इन संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है।
We want every section of the society to work towards development & welfare of people & that is why we have attempted to bring together each section of the society: MP CM Shivraj Singh Chouhan on five religious leaders being granted state minister status. #MadhyaPradesh pic.twitter.com/IvVpBuwqTS
— ANI (@ANI) April 4, 2018
इस बीच, केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि भारतीय संस्कृति ने सदैव संतों का सम्मान किया है। राज्य मंत्री का दर्जा धूर्तों या ठगों को नहीं बल्कि संतों को दिया गया है। उन्होंने कहा कि वह इस कदम के लिए शिवराज सरकार का समर्थन और विरोध करने पर कांग्रेस की आलोचना करती हैं।
Indian culture has always respected saints. Ministry has not been given to cons & thugs but saints. I applaud Shivraj Singh Chouhan govt & condemn Congress for opposing it: Uma Bharti, BJP on five religious leaders being granted state minister status by #MadhyaPradesh Government pic.twitter.com/uHEgZZ3uie
— ANI (@ANI) April 4, 2018
राज्य मंत्री का दर्जा पाने वाले कंप्यूटर बाबा ने कहा कि वह साधु समाज की ओर से सरकार को धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने हम पर विश्वास किया है और हम समाज के विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।
दूसरी ओर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने इसे स्वांग करार देते हुए कहा कि ऐसा कर मुख्यमंत्री अपने पापों को धोने का प्रयास कर रहे हैं। यह चुनावी साल में साधु-संतों को लुभाने की सरकार की कोशिश है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नर्मदा संरक्षण की अनदेखी कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा कि शिवराज सिंह भगवाधारी बाबाओं का इस्तेमाल चुनाव जीतने के लिए करना चाहते हैं। उन्हें इस बात से सबक लेनी चाहिए कि एक भगवाधारी पुजारी को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने के बाद क्या हुआ।
कांग्रेस सांसद कांतिलाल भूरिया ने आरोप लगाया कि संतों ने जब कहा कि वे सरकार के साढ़े छह-सात करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार की पोल खोलने वाले हैं तो सरकार ने उनका मुंह बंद करने के लिए उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दिया है। लेकिन, वे तो संत हैं। संतों को कोई लालच नहीं होता और इसलिए मुझे विश्वास है कि वे चुप रहने वाले नहीं हैं।
भाजपा की राज्य इकाई के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने सरकार प्रोटोकॉल के तहत काम करती है। संतों को राज्यमंत्री का दर्जा इस लिए दिया गया है कि वे नर्मदा के संरक्षण के लिए आसानी से काम कर सकें। सरकार का यह कदम नर्मदा संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए है।
हाइकोर्ट पहुंचा मामला
याचिकाकर्ता रामबहादुर वर्मा के वकील गौतम गुप्ता ने बताया कि याचिका में इस बात का हवाला दिया गया है कि संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिए जाने की संवैधानिक वैधता क्या है। याचिका में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि पांच संतों में से दो संत शिवराज सरकार के खिलाफ आंदोलन करने जा रहे थे। क्या सरकार का यह कदम विरोध को दबाने जैसा हो रहा है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पांच संतों ने इंदौर में एक बैठक आयोजित की थी। बैठक में संतों ने पिछले साल सरकार द्वारा करीब छह करोड़ पौधे लगाने के दावे को महाघोटाला करार दिया था और ऐलान किया था की जल्द ही एक 'नर्मदा घोटाला रथ यात्रा’ निकाल सरकार के इस घोटाले को लोगों तक पहुंचाया जाएगा। संतों के इस ऐलान के बाद मंगलवार को सरकार ने पांच बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा देने वाले आदेश को पारित कर दिया था। जिन संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया है उनके नाम नर्मदानंद, हरिहरानंद, कंप्यूटर बाबा, भय्युजी महाराज और पंडि़त योगेंद्र महंत हैं।