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बिहार में विकास को नहीं मिल रही रफ्तार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य को विशेष पैकेज क्या दिया यही पैकेज केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल राज्य के मंत्रियों के लिए बड़ा हथियार बन गया है। केंद्रीय मंत्री इसी पैकेज का जिक्रकर उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं और राज्य सरकार को कोस रहे हैं कि विकास के लिए मिल रही धनराशि का राज्य उपयोग नहीं कर पा रहे हैं।
बिहार में विकास को नहीं मिल रही रफ्तार

बिहार के कोटे से केंद्र सरकार में आठ मंत्री शामिल है जिनमें तीन कैबिनेट, दो स्वतंत्र प्रभार और तीन राज्यमंत्री हैं। स्वतंत्र प्रभार के मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हैं तो उड़ीसा से लेकिन बिहार के कोटे से राज्यसभा सदस्य हैं। विकास को लेकर जमीनी हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी आदर्श ग्राम योजना भी इन मंत्रियों के क्षेत्र में परवान नहीं चढ़ सकी। बिहार में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने राज्य के कोटे से आठ मंत्रियों को शामिल किया। भाजपा के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के प्रमुख रामविलास पासवान राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी गई। पासवान हाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद हैं उपभोक्ता, खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री हैं। कई सरकारों में कैबिनेट मंत्री रह चुके पासवान ने राज्य के विकास के लिए कई योजनाओं का प्रस्ताव दिया और लेकिन

ज्यादातर लंबित ही रही। प्रधानमंत्री द्वारा विशेष पैकेज की घोषणा के बाद पासवान भी राज्य सरकार पर आरोप लगाते हैं कि केंद्र सरकार ने जितना पैसा बिहार के लिए दिया है अगर राज्य सरकार सही तरीके से उपयोग करे तो विकास को रफ्तार मिल सकती है। पासवान ने वैशाली जिले के भगवानपुर गांव को गोद लिया है। लेकिन गांव के लोग बताते हैं कि गांव को तो गोद ले लिया लेकिन विकास का कोई काम नहीं हुआ।

काराकट सीट से सांसद उपेंद्र कुशवाहा मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री हैं। कुशवाहा अपने इलाके में विकास की लंबी लिस्ट दिखाते हैं और कहते हैं कि सांसद निधि के कोटे के अलावा उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए कई काम किए हैं। स्थानीय स्तर पर लोगों की समस्याओं का कुशवाहा ने विशेष ध्यान रखा लेकिन राज्य के विकास के लिए कोई बड़ी योजना उनके खाते में नहीं है। कुशवाहा ने रोहतास जिले के अभियावर गांव को गोंद लिया है। जहां कुछ योजनाएं शुरू हो गईं और कुछ शुरू होने वाली हैं। 

पूर्वी चंपारन से सांसद और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधामोहन सिंह राज्य के विकास के योजनाओं की लंबी सूची गिनाते हैं लेकिन यह भी कहते हैं कि बिहार के विकास के लिए उन्होंने कई प्रस्ताव भेजे लेकिन राज्य सरकार जमीन ही मुहैया नहीं करा रही है। सिंह के मुताबिक, 'कृषि अनुसंधान संस्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा जमीन नहीं दिए जाने के कारण इस योजना को झारखंड स्थानांतरित कर दिया गया। वहीं दूसरी ओर चार जिलों में कृषि कॉलेज खोलने की भी योजना है और हर एक कॉलेज के लिए 75-75 एकड़ जमीन की जरूरत है लेकिन राज्य सरकार जमीन नहीं देगी तो कॉलेज कहां से खुलेगा।’

बिहार के कोटे से केंद्रीय संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद भी हैं। राज्यसभा सांसद रविशंकर प्रसाद ने विधानसभा चुनाव के समय में पूरी सक्रियता दिखाई और विकास के कई वायदे भी किए लेकिन चुनाव बीतते ही उन वायदों का क्या हुआ यह अब राज्य की जनता पूछती है। राज्य में संचार और सूचना प्रौद्योगिकी को लेकर अपार संभावनाएं हैं लेकिन प्रसाद विकास में पिछड़ने के लिए राज्य सरकार को ही दोषी ठहराते हैं। प्रसाद ने फतुआ के पास अलावलपुर गांव को गोद लिया है। सारण सीट से सांसद राजीव प्रताप रूडी केंद्र सरकार ने नवगठित मंत्रालय कौशल विकास की जिम्मेदारी सौंपी। रूडी ने राज्य में कई कौशल विकास केंद्र खोलने की घोषणा भी की जिनमें कई शुरू हो चुके हैं और कई शुरू होने की कगार पर हैं। कौशल विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कई घोषणाएं की जो कि परवान चढ़ रही हैं। रूडी कहते हैं कि राज्य में कौशल विकास को लेकर अपार संभावनाएं हैं और राज्य में बड़ी संख्या में युवाओं को प्रशिक्षण देने की शुरुआत हो चुकी है। रूडी के मुताबिक अगले पांच सालों में राज्य से बड़ी संख्या में युवा कौशल विकास में दक्ष होंगे।

केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बिहार कोटे से राज्यसभा सांसद हैं। दानापुर के लखनी बघिया गांव को गोद लेने वाले प्रधान भारतीय जनता पार्टी के बिहार के प्रभारी भी रह चुके हैं। प्रधान राज्य की सियासत में तो सक्रिय रहते हैं लेकिन उनके मंत्रालय से कोई बड़ा फायदा नहीं हुआ। पाटलीपुत्र से सांसद रामकृपाल यादव को केंद्र में केंद्रीय पेयजल और स्वच्छता राज्यमंत्री बनाया गया। क्षेत्र में तो यादव अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं लेकिन राज्य के विकास के लिए उनके पास कोई ठोस रणनीति नहीं है। यहां तक कि सोनमई गांव को गोद लेने वाले यादव अभी प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना आदर्श ग्राम योजना को भी पूरा नहीं कर पाए हैं लेकिन इन सबके बावजूद यादव कहते हैं कि कई योजनाओं का प्रारूप बनाया गया जो जल्द ही शुरू होंगी। नवादा से सांसद गिरिराज सिंह सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री हैं। मंत्रालय के अधीन आने वाली योजनाओं को राज्य में ले जाने के लिए उनकी दिलचस्पी है और कुछ योजनाओं की भी शुरुआत कर चुके हैं।

केंद्र सरकार में करीब दस सालों के बाद बिहार को इतना प्रतिनिधित्व मिला है। इससे राज्य के लोगों को नई उम्मीद जगी कि विकास को रक्रतार मिलेगी। राज्य में बड़ी संख्या में केंद्रीय योजनाएं संचालित हो रही हैं। उनमें कई योजनाएं पैसे के अभाव में या तो बंद हो गई या फिर ठप्प पड़ी हुई हैं। विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्र ने कुछ योजनाओं में तेजी लाई तो लगा कि राज्य का विकास होगा। लेकिन भाजपा और उनके सहयोगी दलों को आशातीत सफलता नहीं मिलने से अब योजनाओं को लेकर संशय के बादल मंडरा रहे हैं। रेलवे, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली के क्षेत्र में बिहार को केंद्र से विशेष मदद की दरकार है। लेकिन सियासी कारणों से विकास के मामले में राज्य पिछड़ता जा रहा है। दरअसल, बिहार बंटवारे के समय राज्य से 1.70 लाख करोड़ रुपये विशेष पैकेज की मांग की गई थी। उस समय केंद्र में राजग की सरकार थी। अब एक बार फिर केंद्र में राजग की सरकार है। लेकिन तब की सियासी स्थितियों और अब की स्थितियों में अंतर है।

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