लालू ने कल अपने विधायकों के साथ बैठक की जिसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और पार्टी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने 143 सीटों का दावा किया। हालांकि नीतीश कुमार ने उनके इस बयान को हल्के अंदाज में लेते हुए खारिज कर दिया। रघुवंश के उक्त दावे पर नीतीश ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि 2010 के विधानसभा चुनाव परिणाम को राजद और जदयू के बीच सीटों के बंटवारे के पैमाने के तौर नहीं लिया जाना चाहिए बल्कि इसके लिए पार्टी की जमीनी स्तर पर पकड़ को पैमाना मानना चाहिए। 2010 के चुनाव में जदयू ने भाजपा के साथ गठबंधन कर 117 सीटें जीती थीं जबकि राजद को 24 सीटें ही मिली थीं।
रघुवंश प्रसाद का कहना था कि 16 जून 2013 को राजग से जदयू का गठबंधन टूटने के बाद परिस्थिति बदल गई है। रघुवंश के 145 सीटों की मांग के दावे पर नीतीश ने चुटकी भी ली और कहा, ‘145 क्यों, पूरी 243 सीट उपलब्ध है।’ राजद विधायक दल की बैठक के बाद लालू ने नेपाल और बिहार के भूकंप पीड़ितों के लिए राहत कार्यों, शिक्षकों की मांग पर की गई टिप्पणी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा अनुसूचित जाति और जनजाति को प्रोन्नति में आरक्षण रद्द किए जाने के मामले को राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट ले जाना चाहिए। राजद प्रमुख द्वारा उठाए जा रहे इन मुद्दों को दोनों दलों के बीच बढ़ती खटास के रूप में देखा जा रहा है।
प्रोन्नति में आरक्षण निरस्तीकरण मामले पर नीतीश कुमार ने कहा कि इसके लिए राजद प्रमुख को मांग करने की जरूरत नहीं है, उन्होंने राजनीतिक दल के नाते यह बात कही होगी। राज्य सरकार इस मामले को स्वयं देख रही है। इसके लिए कानूनी राय ली जा रही है। इस बारे में राज्य सरकार ने जो फैसला किया था, वह सही बुनियाद पर लिया गया था। संविधान के तहत इस बात को जहां तक ले जाने की जरूरत होगी, हम लोग जाएंगे।
पटना में आज लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की कई योजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास रखे जाने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए आगामी मध्य जुलाई में होने वाले चुनाव के बारे में कहा, कितनी सीटों पर कौन चुनाव लडेगा, इसको लेकर धर्मनिरपेक्ष सहयोगी दलों के बीच अंतिम निर्णय किया जाना बाकी है।