भाजपा के मुख्य प्रदेश प्रवक्ता मुन्ना सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस और पीडीएफ गठबंधन के कम से कम पांच और विधायक हमारी तरफ आने को तैयार बैठे हैं और इनमें से कु के पास तो मंत्रिस्तरीय पद भी हैं। उन्होंने कहा, वे हमारे संपर्क में हैं और अगर 28 मार्च को सदन में सरकार के विश्वास मत पर मतदान के दौरान राज्य विधानसभा का अंकगणित दोनों पक्षों के लिये बराबर रहता है तो वे हमारे पक्ष में खुशी-खुशी आने के लिये तैयार हैं।
उन्होंने इन विधायकों का नाम बताने से इंकार कर दिया और कहा कि इन विधायकों में सत्ताधारी कांग्रेस और पीडीएफ दोनों के सदस्य हैं। चौहान ने कहा कि हरीश रावत सरकार के मनमाने तरीके से काम करने के तरीके के खिलाफ पार्टी में गुस्सा सतही तौर पर दिखायी दे रही नाराजगी से कहीं ज्यादा है। यह केवल उन्हीं नौ बागी विधायकों तक सीमित नहीं है जिन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ खुले तौर पर बगावत की है। अन्य लोग भी उतने ही नाराज हैं और बदलाव होने का चुपचाप इंतजार कर रहे हैं। अगर मौका मिला तो वे हमारे साथ खडे हो जाएंगे।
प्रदेश में चल रही राजनीतिक अनिश्चितता में हरीश रावत के मुकाबले भाजपा के लाभ की स्थिति में होने का दावा करते हुए भाजपा नेता ने यहां तक कहा कि नियमों के हिसाब से राज्य विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल दल-बदल कानून के तहत नौ बागी विधायकां को अयोग्य घोषित नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि इस संबंध में कानून बिल्कुल साफ है। अध्यक्ष विधानसभा के सदस्य को केवल दो आधार पर ही अयोग्य ठहरा सकते हैं। एक..... जब वह सदन में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करे और दूसरा..... जब वह दूसरे दल में चला जाये। कांग्रेस के इन नौ विधायकों पर दोनों में से कोई मामला सही नहीं बैठता क्योंकि उनमें से किसी ने न तो पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया और न ही वह किसी दूसरी पार्टी में शामिल हुए। इस मामले में चौहान ने कहा कि बागी विधायकों को पार्टी व्हिप के उल्लंघन का दोषी कैसे ठहराया जा सकता है जब कि अध्यक्ष ने खुद ही बजट विधेयक पर मत विभाजन की मांग को खारिज कर दिया और उसे पारित घोषित कर दिया।
उन्होंने कहा कि अगर अध्यक्ष ने बागी विधायकों को सदस्यता से अयोग्य घोषित कर भी दिया तो भी अदालत में उनकी कार्रवाई टिक नहीं पायेगी और उत्तराखंड अरुणाचल प्रदेश की राह पर चल निकलेगा।