रामगोपाल जाट
राजस्थान सरकार में जल्द मंत्रिमंडल फेरबदल होने जा रहा है। माना जा रहा है कि एक सप्ताह के भीतर बड़ा बदलाव हो सकता है। बताया जा रहा है कि चुनावी साल में प्रदेश भाजपा द्वारा सोशल इंजिनियरिंग को अपनाया जा सकता है। सभी समाजों को प्रतिनिधित्व और पार्टी के नाराज नेताओं को मनाने की कवायद शुरू होने वाली है। सत्ता और संगठन के अंदर सामाजिक समरता के नाम पर कई बड़े बदलाव होने की पूरी संभावना है। सत्ता का फेरबदल सीएम देख रहीं हैं, वहीं संगठन बदलाव आलाकमान द्वारा तय किया जाएगा।
सूत्रों की मानें तो शुक्रवार को दिल्ली में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी मर्जी से काम करने के लिए हरी झंडी नहीं मिलने के कारण नाराज हो गईं, जिसके बाद पूरे राजस्थान मंत्रिमंडल के इस्तीफे की खबरें आईं। लेकिन देर रात तक यह बातें केवल हवा-हवाई निकली।
खैर, यह भी जानने वाली बात है कि जब वसुंधरा राजे को 2008 से 2013 के अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में नेता प्रतिपक्ष के पद से हटाया गया था, तो उनके पक्ष में कई विधायक खड़े हो गए थे। जिसके बाद अपनी ही पार्टी में लॉबिंग करने के मामले में राजे को माहिर माना जाता है। ऐसे में शुक्रवार को उड़ी हवा ने एक बार फिर उस वाकये को ताजा कर दिया।
बताया गया कि सभी 29 मंत्री अपना इस्तीफा दे रहे हैं और उसके बाद मंत्रिमंडल पुर्नगठन किया जाएगा। देर रात तक यह अफवाह चलती रही, लेकिन आज यह बात सामने आई है कि यह बदलाव केवल सोशल इंजिनियरिंग की कवायद है। दिल्ली में शुक्रवार को राजे के बदलाव की बात हुई, लेकिन इससे पार्टी में असंतोष उत्पन्न होने की संभावना बढ़ रही थी। जिसके बाद सीएम ने अपने राज्य मंत्रिमंडल को लेकर बदलाव की बात को जरूर आलाकमान से मनवा लिया। अब सीएम राजे विभिन्न समाजों को प्रतिनिधित्व और नाराज नेताओं को शामिल करने के साथ ही अपने विरोधियों को संदेश देंगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, किसी राजपूत नेता को गृहमंत्री बनाया जा सकता है। आनंदपाल प्रकरण व पद्मावत फिल्म के बाद यह राजपूत समाज की नाराजगी दूर करने का प्रयास होगा। वहीं, गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को उपमुख्यमंत्री बनाने की चर्चाएं हैं। हालांकि, जाट समाज से भी एक-दो नेताओं का मंत्रिमंडल में आना तय है। बड़ी बात नहीं होगी कि हनुमान बेनीवाल को भी राजे मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। जबकि, बेनीवाल अब भी दावा कर रहे हैं कि वह बीजेपी और सरकार में शामिल नहीं हो रहे। मगर जिस तरह से कुछ दिनों पर बीजेपी में शामिल नहीं होने का दावा करने वाले किरोडीलाल मीणा 10 साल बाद पार्टी में लौट चुके हैं, उससे बेनीवाल के दावे पर भी उनके सर्मथकों को शक होने लगा है।
इधर, पार्टी के बड़े नेता और सांगानेर से विधायक घनश्याम तिवाड़ी, जो कि बीते चार साल से सीएम राजे व उनकी सरकार से नाराज चल रहे हैं, उनको इस बार भी मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की संभावना नहीं है। ऐसा नहीं है कि राजे उनको शामिल नहीं करना चाहतीं, लेकिन असलियत यह भी है कि तिवाड़ी खुद ही वर्तमान नेतृत्व के बहाने सीएम के अंतर्गत काम करने से कई बार इनकार कर चुके हैं। ऐसे में फेरबदल होने के बावजूद पार्टी के बड़े लीडर और राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री रह चुके तिवाड़ी अपनी राह पकड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि बीते दिनों राजपा के विधायक किरोडीलाल मीणा, उनकी पत्नी व विधायक गोलमा देवी और एक अन्य विधायक गीता वर्मा ने बीजेपी ज्वाइन की थी। इससे राजपा का भाजपा में विलय हो गया, लेकिन उनके एक साथी विधायक नवीन पिलानिया कांग्रेस में जाने की रूचि दिखा रहे हैं। किरोडीलाल मीणा को तुरंत टिकट देकर राज्यसभा भेजा जा चुका है। ऐसे में सीएम राजे के विरोधियों की संख्या जरूर घट रही है, लेकिन जब तक तिवाड़ी को साथ नहीं लिया जाएगा, तब तक चुनाव में पार पाना राजे के लिए टेढी खीर ही रहेगी।
बीते चार साल से सरकार व राजे का विरोध करने वालों में तीसरा मुख्य नाम पश्चिमी राजस्थान का बड़ा नाम और वर्तमान में सूबे का सबसे बड़े जाट नेता हनुमान बेनीवाल है। किंतु किरोडीलाल मीणा के करीब रहे बेनीवाल का भी बीजेपी में जाने का कार्यक्रम लगभग तय बताया जा रहा है। यदि सीएम राजे बेनीवाल को भी अपने पाले में लेने में कामयाब होती है तो फिर केवल तिवाड़ी नाम का कांटा ही सीएम राजे की चुनौती होगा। जिनको मनाने का काम आरएसएस के जिम्मे बताया जा रहा है। जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है कि राज्य में सीएम राजे का भारी विरोध है। जिसको कम करना उनके लिए एक चुनौती है, मगर जिस तरह से सोशल इंजिनियरिंग की जा रही है उससे साफ है कि इस समस्या का राजे पार पाने में कामयाब हो जाएंगी।