केंद्रीय कृषि विधेयकों की काट में पंजाब विधानसभा में अपने विधेयक लाने वाली कांग्रेस की कैप्टन सरकार किसानों को तो अपने पक्ष में नहीं कर पाई है वहीं कारोबारी भी सरकार से काफी नाराज हैं। कोरोना महामारी के चलते 6 महीनें तक ठप रहे काम धंधे जैसे ही पटरी पर लौटने लगे थे रेल पटरियों पर पिछले 40 दिन से जमे किसानों ने प्रदेश के उद्योगों से तैयार माल और कच्चे माल की आवाजाही लगभग ठप कर दी है। थर्मल प्लांटों में कोयले का संकट गहरा गया है। पंजाब पावरकॉम को प्रतिदिन 8 से 10 करोड़ रुपए की बिजली पावर ट्रेडिंग एक्सचेंज से खरीदनी पड़ रही है। कारोबारियों का आयात-निर्यात भी ठप है। दिवाली के मौके पर देश के अन्य राज्यों में पंजाब के लुधियाना से वूलन,हौजरी गारमेंट्स,साइकिल,सिलाई मशीन, ऑटो पार्टर्स और जालंधर से खेल सामान की आपूिर्त 70 फीसदी तक घट गई है। ज्यादातर प्रमुख रुटों पर रेल सेवाएं आंदोलनकारी किसानों के रेल पटरियों पर धरने के चलते ठप हैं। सीएफएस(कंटेनर फ्रेट स्टेशन)लुधियाना से ऑटो पार्टर्स,यॉर्न फैबरिक,साइकिल का निर्यात थमने कारोबारी परेशान हैं। स्टील का आयात रुकने से वॉयर रॉड,बॉर,एचआरसी व सीआरसी स्टील स्ट्रिप्स के दाम 2000 से 3000 रुपए प्रति टन बढ़ गए हैं।
आल इंडस्ट्री एंड ट्रेड फोरम के अध्यक्ष बदिश जिंदल की मानें तो पिछले 40 दिन दौरान पंजाब में 5000 करोड़ रुपए से अधिक का नुकसान उद्योगों को किसान आंदोलन के चलते हुआ है। मालगाड़ियांे की आवाजाही बाधित होने से राज्य के दो थर्मल प्लांट बंद हुए हैं जिसके चलते उद्योगांे को पहले की तरह 21 घंटे बिजली की जगह 16 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। सिर्फ 5 फीसदी उद्योगों के पास पावर कटौती के बावजूद उत्पादन जारी रखने का विकल्प है। जिंदल के मुताबिक पंजाब में प्रति माह करीब तीन लाख टन स्टील के तैयार उत्पाद बाहर से आते थे पर पिछले 40 दिन से आपूर्ति ठप है वहीं दो लाख टन आयातित स्टील स्क्रैप की आपूर्ति बंद होने से लुधियाना,मंडी गोबिंदगढ़ व खन्ना की फर्नेंस व रोलिंग मिलों का उत्पादकी न 40 फीसदी घट गया है। रेलवे की तुलना में रोड ट्रांसपोर्ट का भाड़ा कांडला बंदरगाह से प्रति टन 2 से ढाई हजार रुपए टन ज्यादा है। जालंधर खेल उद्योग संघ के संयोजक रविंद्र धीर के मुताबिक यहां के खेल सामान उद्योेग पर पहले कोरोना की मार पड़ी अब किसान आंदाेलन ने धंधा पूरी तरह से चौपट कर दिया है। सरकार को चाहिए कि किसानांे से बातचीत कर रेल ट्रैक खाली कराए जाएं।
किसान आंदोलन खत्म करने में रही नाकाम
किसान आंदोलन को खत्म करने में विफल रही कैप्टन सरकार को भाजपा,शिरोमणी अकाली दल और आम आदमी पार्टी घेर रही है। आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष हरपाल सिंह चीमा ने मुख्य मंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की ओर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीपी.नड्डा को पंजाब के लिए माल गाड़ीयां शुरू करने के बारे में लिखे खुले पत्र को लेकर कहा, “मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह दिन प्रति दिन गंभीर होते जा रहे किसानी मसले के हल के लिए प्रधान मंत्री नरिन्दर मोदी के साथ बात करने की बजाए भाजपा नेताआंे को पत्र लिखने का ड्रॉमा कर रहे हैं।
विधेयकों की काट के लिए बुलाया विशेष सत्र
पहले किसानों और पंजाब के लोगों को गुमराह करने के लिए पहले पंजाब विधान सभा के विशेष सत्र में केंद्र के कृषि विधेयकें की काट का नाटक किया। केंद्र के काले कानूनों में ही तर्कहीन संशोधन करके किसानों और पंजाब के लोगों को बेवकूफ बनाया। फिर भी प्रधान मंत्री से मिलने की बजाए 4 नवम्बर को राष्ट्रपति को मिलने की ड्रामेबाजी होगी। हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह सारी ड्रामेबाजी जहां संघर्षशील किसानों और पंजाब के लोगों को गुमराह करने की साजिशें हैं, वहीं मोदी सरकार के कृषि विरोधी काले कानूनों को सीधे-असिद्धे रूप में समर्थन है। चीमा ने कहा कि जिस मुख्यमंत्री में अपने प्रदेश के किसानों, व्यापारियों और अन्य वर्गों के मसलों के हल के लिए प्रधानमंत्री से बात करने या मिलने की जुर्रत नहीं है, ऐसे मुख्यमंत्री की पंजाब को कोई जरूरत नहीं है।