एक अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार उत्तरी बिहार के बेतिया मंडी में सब्जियों के दाम इतने कम हो गए हैं कि आपको इससे हैरत होगी। यहां फूल गोभी एक से दो रुपए किलो के भाव से बेची जा रही है। विमुद्रीकरण के बाद यहां के व्यापारियों को खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है।
यहां के सब्जी विक्रेता महफूज रुहांसे मन से कहते हैं कि विमुद्रीकरण की घोषणा से पहले फूल गोभी 12 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही थी। वही गोभी अब 1 या 2 रुपए किलो के हिसाब से बिक रही है। उनका कहना है कि नोटबंदी की घोषणा के दो-तीन दिनों के बाद से ही सब्जियों के दाम में गिरावट जारी है।
एक अन्य दुकानदार ने बताया कि विमुद्रीकरण की घोषणा से पहले बैंगन 15 रुपए किलो बिकता था। पर अब वह 2 से 3 रुपए किलो भाव से बिक रहा है। इसी तरह पत्ता गोभी पहले 15 रुपए किलो थी लेकिन अब वह पांच रुपए किलो बिक रही है। मोटे तौर पर जो सब्जी पहले 10 रुपए किलो मिलती थी वही अब 2 या तीन रुपए किलो हो गई है।
सब्जी विक्रेताओं के अलावा मजदूरों की रोजी पर भी गंभीर संकट पड़ता जा रहा है। पहले राजमिस्त्री को 400 रुपए की दिहाड़ी मिल जाती थी। लेकिन अब ठेकेदार काम नहीं दे रहा है। कुछ मजदूरों को काम के एवज में पुराने नोट दिए जा रहे हैं। मजूदर मजदूरी के बाद पुराने नोटों को जमा कराने बैंक में लाइन में खड़े हैं। मजदूर अपने नोट को बदलाने साहूकार के पास जा रहे हैं। उन्हें साहूकार 500 के नोट के बदले 450 रुपए दे रहा है।
ग्रामीण बैंकों में नकदी की कमी से लोगों को कैश मिलने में भी परेशानी हो रही है। मध्य बिहार ग्रामीण बैंक मेंं कैश नहीं है। बैंकों में 15 से 20 लाख रुपए की आवश्यकता है पर वहां महज 3 लाख की राशि आ रही है। लोगों को दस हजार के एवज में महज दो हजार रुपए दिए जा रहे हैं।