झारखंड के बहुचर्चित रूपा तिर्की के मौत की जांच सीबीआई करेगी। बुधवार को रांची हाई कोर्ट ने यह फैसला सुनाया और सीबीआई को तुरंत केस संभालने का निर्देश दिया। मामले की सुनवाई करते हुए सभी पक्षों की ओर से मंगलवार को बहस पूर्ण होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
रूपा तिर्की रांची के काठीटांड के मनुटोली की रहने वाली 2018 बैच की दरोगा और साहिबगंज की महिला थाना की प्रभारी थी। इसी साल तीन मई को अपने साहिबगंज स्थिति आवास में मृत पायी गई थी। फंदे से लटकी हुई पाई गई थी। हालात देखने से हत्या की आशंका हो रही थी। शरीर पर चोट के निशान और पांव बेड पर मुड़ा था, ऐसी तस्वीर सोशल मीडिया में वायरल थी। पुलिस ने इसे प्रेम प्रसंग का मामला बताते हुए उसे आत्महत्या बताकर मामला दर्ज किया था। हत्या के लिए उकसाने को लेकर उसके मित्र को जिम्मेदार ठहराया था। रूपा के पिता देवानंद उरांव ने हत्या किये जाने की आशंका जाहिर करते हुए हाई कोर्ट में रिट दायर कर सीबीआइ से जांच की मांग की थी। अनुरंजन अशोक और तीरथ नाथ आकाश ने भी इसकी सीबीआई से जांच को लेकर हाई कोर्ट में लोकहित याचिका दायर की थी।
बता दें, रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत के बाद पूरे झारखंड में बवाल मचा हुआ था। मौत के बाद मां पद्मावती ने बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए एसपी का आवेदन देकर उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। उसके अंतिम संस्कार में भी सांसद समीर उरांव और कांग्रेस विधायक, अब प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की शामिल हुए थे। विपक्ष से लेकर सत्ताधारी दल के नेताओं ने भी हत्या की आशंका जाहिर करते हुए इसकी सीबीआई या उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। साहिबगंज से रांची तक सड़क पर उतरकर आदिवासी संगठनों व अन्य सामाजिक संगठनों ने आंदोलन किया था। रूपा के परिजन 12 जून को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से भी मिले थे। तब मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जांच के लिए 17 जून को रांची हाई कोर्ट सेवा निवृत्त मुख्य न्यायाधाीश विनोद कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में एकल जांच आयोग का गठन किया गया।
इसी प्रकरण में भाजपा के शिष्टमंडल के राज्यपाल से मुलाकात के अगले ही दिन तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने पुलिस महानिदेशक को राजभवन तलब कर सही दिशा में जांच का निर्देश दिया तो झामुमो ने राज्यपाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने तो इसे संघीय ढांचे पर हमला करार दिया था।