बिजली के मोर्चे पर केंद्र सरकार ने झारखंड को झटका दिया है। राज्य सरकार कर्ज लेकर भुगतान की योजना ही बनाती रही और केंद्र ने डीवीसी ( दामोदर घाटी निगम) के बिजली के बकाया मद में राज्य सरकार के खजाने से 1417 करोड़ रुपये काट लिए। कोरोना काल में आर्थिक तंगी से जूझती झारखंड सरकार की परेशानी इससे और बढ़ेगी। विकास योजनाओं पर इसका सीधा असर पड़ेगा।
केंद्र की इस जल्दबाजी के कारण झारखंड का स्वर केंद्र के प्रति फिर तल्ख हो गया है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए राज्य सरकार के खिलाफ साजिश करार दिया है। कहा कि यह संघीय ढांचे पर प्रहार है। केंद्र वित्तीय दंड लागू कर रहा है। आर्थिक मोर्चे पर केंद्र झारखंड को अस्थिर करना चाहता है। जिस त्रिपक्षीय समझौते के तहत यह राशि काटी गई है वह भाजपा नीत वाली रघुवर सरकार का समझौता है। जीएसटी कंपनसेशन का पैसा राज्य को नहीं दे रही है और खुद कटौती कर रही है। माना जा रहा है कि इस मोर्चे पर केंद्र के खिलाफ हेमंत सरकार का आक्रमण और तीखा होगा।
केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने डीवीसी के बकाया बिजली मद में वसूली के लिए झारखंड सरकार के आरबीआइ के खाते से 1417.50 करोड़ रुपये काटने की सूचना से आरबीआइ झारखंड के मुख्य सचिव, ऊर्जा सचिव, योजना सचिव व डीवीसी को पत्र भेजकर अवगत करा दिया है।
डीवीसी का राज्य सरकार पर 5608.32 करोड़ रुपये बकाया है। ऊर्जा मंत्रालय ने 11 सितंबर को ही पत्र लिखकर 15 दिनों के भीतर भुगतान की चेतावनी दी थी। जिसकी मियाद 26 सितंबर को खत्म हो गई थी। भुगतान नहीं करने की स्थिति में त्रिपक्षीय समझौता के तहत किश्तों में राशि राज्य सरकार के खजाने से काट लेने का अल्टिमेटम दिया था। कहा था कि डीवीसी का बकाया भुगतान नहीं करने पर 2017 के त्रिपक्षीय समझौते के आलोक में राज्य सरकार के आरबीआइ के खाते से बकाया राशि चार किस्तों में काट ली जायेगी। पहली किस्त की 1417.50 करोड़ रुपये की राशि अक्टूबर माह में काटकर केंद्र के खाते में जमा कर दी जायेगी। यह सुझाव भी दिया गया है कि राज्य सरकार चाहे तो आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत बिजली वितरण कंपनी के माध्यम से केंद्र के उपक्रम रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन से कर्ज लेकर बकाया की अदायगी कर सकती है।
राज्य सरकार ने इसके लिए पहल शुरू की है। 1800 करोड़ रुपये कर्ज लेने का प्रस्ताव बढ़ाया जा रहा था, राज्य सरकार गारंटर बनती। प्रस्ताव कैबिनेट को भेजा जा चुका है। इसी बीच केंद्र ने राज्य सरकार के खजाने से कटौती कर दी। शर्तों के अनुसार जनवरी, अप्रैल और जुलाई माह में अगली किस्त की कटौती होगी।
झारखंड सरकार का विरोध रहा है कि केंद्र सौतेला व्यवहार कर रहा है। जीएसटी कंपनसेशन मद में ढाई हजार करोड़ से अधिक का दावा केंद्र पर किया गया था। मुख्यमंत्री पहले भी बोल चुके हैं कि कोल इंडिया के पास जमीन के एवज में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का बकाया है। बकाया बिजली दर पर भी विवाद है मगर केंद्र राशि देने के बदले कटौती की धमकी दे सौतेला व्यवहार कर रहा है।