केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने केंद्र सरकार पर राज्यों के बीच भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा है कि वह बाढ़ राहत के लिए फंड जुटाने के लिए उनके मंत्रियों को विदेश जाने की अनुमित नहीं दे रही है।
पांच दिन की संयुक्त अरब अमीरात की यात्रा से लौटे केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए राज्य के मंत्रियों को मदद मांगने के लिए जाने की अनुमति न देना भेदभाव का सबसे ताजा उदाहरण है।
भाजपा सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए विजयन ने कहा कि केंद्र को न सिर्फ केरल, बल्कि किसी भी राज्य के सामने बाध्ाा नहीं ख्ाड़ी करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में जब ऐसी तबाही आई थी, तो खासकर गुजरात को विदेशी मदद देने के लिए अनुमति दी गई थी। मुख्यमंत्री के अनुसार, अगर केरल को भ्ाी ऐसी अनुमति दी जाती तो हम बहुत बड़ी राशि हासिल कर सकते थे। लेकिन केंद्र ने अनुमित देने से मना कर दिया। पी. विजयन ने फिर दोहराया कि यह बात किसी से छिपी नहीं है कि यूएई ने राज्य को 700 करोड़ रुपये की मदद देने की पेशकश की थी, जिसे केंद्र सरकार ने मना कर दिया था।
राज्य के 20 मंत्रियों ने केंद्र सरकार से फंड जुटाने के लिए यूरोप और खाड़ी देशों में जाने की अनुमति मांगी थी, जिसमें केंद्र ने 17 को अनुमति देने से मना कर दिया था।
पी. विजयन के नेतृत्व वाली राज्य की एलडीएफ सरकार ने राज्य के पुनर्निर्माण के लिए विश्व बैंक, एशिया विकास बैंक और अन्य एजेंसियों के जरिए 15,000 करोड़ रुपये जुटाने का फैसला किया है।
सदी की सबसे भयानक बाढ़
इसी साल अगस्त में केरल में आई बारिश और बाढ़ की वजह से 493 लोगों की मौत हुई थी और राज्य के 14 जिलों में करीब 54.11 लाख लोग प्रभावित हुए थे। केरल में यह पिछली एक सदी की सबसे खराब स्थिति थी।
राज्य भर में बाढ़ से लगभग 14.52 लाख लोग विस्थापित हुए और वे राहत शिविरों में रह रहे हैं। इस दक्षिणी राज्य में 57,024 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर लगी फसल बर्बाद हो गई।