अफ्रीकी देश माली में फंसे झारखंड के 33 कामगारों की वापसी और उनके बकाया पारिश्रमिक भुगतान का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पहल के बाद यह सब हो पाया।
रविवार 16 जनवरी को मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को यह जानकारी मिली की अफ्रीकी देश माली में गिरिडीह एवं हजारीबाग जिले के 33 प्रवासी श्रमिक फंसे हुए हैं एवं उन्हें उनके काम का मेहनताना भी नहीं दिया जा रहा है। तीन महीने से अधिक वक्त बीत जाने के बाद भी कंपनी द्वारा इन श्रमिकों को वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है। मामले पर त्वरित संज्ञान लेते हुए हेमन्त सोरेन ने मंत्री श्रम, नियोजन सत्यानंद भोक्ता को मामले में तुरंत कार्रवाई कर श्रमिकों तक हर संभव मदद पहुंचाने का निर्देश दिया। तब श्रम मंत्री भोक्ता ने ट्वीटर के जरिए ही मजदूरों का संपर्क सूत्र पता कर लेबर कमिश्नर, झारखण्ड को माली स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क करने का निर्देश दिया। मजदूरों से तत्काल संपर्क स्थापित कर उनके बारे में जानकारी हासिल कर श्रमायुक्त ए मुथू कुमार ने माली स्थित भारतीय दूतावास के राजनयिक से संपर्क कर मजदूरों की समस्या के समाधान का आग्रह किया।
दूतावास के जरिए मजदूरों तक पहुंची मदद
माली के बमाको स्थित भारतीय दूतावास ने राज्य सरकार द्वारा दी गई जानकारी पर संज्ञान लिया। दूतावास ने मजदूरों एवं कंपनी से संपर्क स्थापित किया। दोनों ही पक्षों को मामले के समाधान के लिए 18 जनवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया। भारतीय दूतावास की मध्यस्थता में आयोजित बैठक के दौरान कंपनी के अधिकारियों ने मजदूरों का बकाया वेतन भुगतान करने एवं सभी 33 मजदूरों के माली से रांची तक की फ्लाइट टिकट की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी ली। साथ ही, फ्लाइट मिलने तक ये सभी मजदूर श्रमिक जब तक माली में रहेंगे, उनके रहने, खाने एवं किसी भी प्रकार की आपात व्यवस्था के लिए कंपनी जिम्मेवार होगी। इस मध्यस्थता पत्र पर श्रमिकों की तरफ से एक प्रतिनिधि एवं कंपनी की ओर से एक प्रतिनिधि ने हस्ताक्षर किया। साथ ही, भारतीय दूतावास के दो उच्च अधिकारियों ने इस पर सहमति जताई। दूतावास ने कंपनी को मजदूरों से नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्राप्त कर उनकी घर वापसी की व्यवस्था पूरी कर सूचित करने का निर्देश भी दिया है।