गौरतलब है कि जनता दल यूनाइटेड से निकाले जाने के बाद मांझी के पास बहुमत की सरकार नहीं है। फिर भी वह कैबिनेट की बैठक बुलाकर कोई न कोई फैसला ले रहे हैं। हाल ही में उन्होंने पासवान जाति को दलित से महादलित श्रेणी में शामिल किया। इसके अलावा सवर्ण गरीबों को भी आरक्षण देने का फरमान जारी कर दिया।
मांझी की कैबिनेट से 20 मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया था, तब मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जल्द ही कैबिनेट का विस्तार करेंगे। ऐसे में फैसलों पर कोर्ट ने रोक लगा दी।
इससे पहले मांझी ने कहा कि वह बिहार में राष्ट्रपति शासन के पक्ष में नहीं है। मांझी का दावा है कि उनके पास बहुमत के लिए आवश्यक संख्या है और वह 20 फरवरी को बहुमत साबित कर देंगे। रविवार को दिल्ली पहुंचे मांझी भाजपा के कई नेताओं से मिले।
बताया जा रहा है कि मांझी चाहते हैं कि भाजपा अपना रुख स्पष्ट ताकि वह बहुमत के लिए आवश्यक विधायक जुटा सके। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा नेताओं ने मांझी से कहा कि पहले वह बताए कि उनके पास कितने विधायक हैं।
मांझी इसी उधेड़बुन हैं। मांझी का दावा है कि उनके पास विधायकों की बहुमत साबित करने भर हैं। लेकिन यह नहीं बता पा रहे हैं कि कौन-कौन विधायक उनके साथ है। राजद सांसद पप्पू यादव खुलकर मांझी का साथ दे रहे हैं। ऐसे में समझा जा रहा है कि राजद और जनता दल यूनाइटेड के कुछ और विधायक मांझी का साथ दे सकते हैं।