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राजस्थान कांग्रेस में फिर अंतर्कलह, सचिन पायलट गुट के वरिष्ठ विधायक का इस्तीफा, गहलोत रोक पाएंगे जुलाई जैसे हालात ?

राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह सामने आ गया है। विधायक हेमाराम चौधरी ने मंगलवार को विधायक...
राजस्थान कांग्रेस में फिर अंतर्कलह, सचिन पायलट गुट के वरिष्ठ विधायक का इस्तीफा, गहलोत रोक पाएंगे जुलाई जैसे हालात ?

राजस्थान कांग्रेस में एक बार फिर अंतर्कलह सामने आ गया है। विधायक हेमाराम चौधरी ने मंगलवार को विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया । वह पायलट खेमे के माने जाते हैं। साथ ही सचिन पायलट के काफी करीबी भी है। हेमाराम बाड़मेर की गूढामलानी सीट से विधायक है। माना जा रहा है कि हेमाराम चौधरी का इस्तीफा बस शुरूआत है क्योंकि पायलट खेमे के कई विधायक अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे हैं। ऐसे में जुलाई जैसे संकट का सामना पार्टी को फिर से करना पड़ सकता है।

बताया जा रहा है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता हेमाराम चौधरी लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे थे। चौधरी ने इस्तीफे की वजह तो अपने पत्र में नहीं लिखी है, लेकिन माना जा रहा है कि लम्बे अर्से से सरकार में अनदेखी इसकी बड़ी वजह है। सचिन पायलट खेमे का होने की वजह से माना जा रहा है चौधरी राजस्थान में फिर से गहलोत विरोधी मुहिम को जोर दे सकते हैं।

इसके पहले विधानसभा में बोलते हुये चौधरी के मन की पीड़ा खुलकर सामने आई थी। उन्होंनने कहा था कि दुश्मनी निकालनी है तो मेरे से निकालो, क्षेत्र की जनता को परेशान मत करो। चौधरी ने उनके विधानसभा क्षेत्र से अधिकारियों को हटाने को लेकर नाराजगी जताई थी. उनकी ताजा नाराजगी कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर भर्ती से जुड़ी बताई जा रही है। सूत्रों की मानें तो चौधरी ने फरवरी 2019 में भी इस्तीफा दिया था, लेकिन स्पीकर ने उसे स्वीकार नहीं किया था।

अशोक गहलोत से नाराजगी रखने वाले चौधरी कोई अकेले नहीं है। इससे पहले भी कांग्रेस के आठ विधायकों ने अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ असंतोष व्यक्त करते हुए अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला था। कुछ समय पहले राजस्थान विधानसभा में 50 विधायकों को बिना माइक वाली सीट दिए जाने का मुद्दा गरमाया था। कहा जा रहा है कि बहुत जल्द ही राजस्थान में एक बार फिर से पिछली बार की जुलाई वाले हालात होने जा रहे हैं क्योंकि सचिन पायलट कोर्ट के बहुत सारे विधायक अब नाराज हैं। और पायलट की नाराजगी दूर करने के लिए अहमद पटेल के नेतृत्व में बनी कमेटी भी उनकी मौत के बाद निष्क्रिय हो गई है। ऐसे में पायलगट गुट से किए गए वादे पूरे नहीं हो पाए हैं।

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