दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय की तरफ से कल जारी किए गए एक पत्र में कहा गया है भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने कहा है कि दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय की तरफ से जारी अधिसूचना असंवैधानिक और गैर-कानूनी है इसलिए कानूनी रूप से इसका कोई प्रभाव नहीं होगा।
दिल्ली सचिवालय पर एक माह पहले छापेमारी के बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आप सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया था और इसी दरम्यान दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) मामलों की जांच के दिल्ली सरकार के निर्णय को नामंजूर किया गया है।
छापेमारी के बाद दोनों सरकारों के बीच तकरार शुरू हो गई थी। केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि छापेमारी का उद्देश्य ऐसे दस्तावेजों को जब्त करना था जिसमें डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार का ब्योरा दर्ज था। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दस्तावेज उस दौर के थे जब वित्त मंत्री अरूण जेटली डीडीसीए के प्रमुख थे। केजरीवाल ने इसके बाद पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित करने का निर्णय लिया, तब सुब्रमण्यम ने कहा था कि दिल्ली सरकार को इस तरह के जांच आयोग के गठन का अधिकार है।
केंद्र सरकार ने बुधवार को एक पत्र लिखकर कहा दिल्ली की चुनी हुई सरकार जांच आयोग कानून, 1952 के तहत ना ही केंद्र सरकार है और ना ही राज्य सरकार। इसलिए दिल्ली सरकार को इस अधिनियम के तहत जांच आयोग गठित करना का कोई अधिकार नहीं है। उपराज्यपाल को भेजे गए पत्र में कहा गया है मंत्री परिषद (दिल्ली सरकार) को इस आशय की जानकारी दी जाए और सभी संबंधित लोगों को केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के इस निर्णय के अनुरूप कार्रवाई करने की सलाह दी जाए। आप सरकार ने 22 दिसंबर को डीडीसीए में कथित वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए एक जांच आयोग गठित करने की अधिसूचना जारी की थी।