बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने बम्बई हाई कोर्ट में कहा है कि शवों के माध्यम से कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं फैलता है। मंगलवार को कोर्ट में अपनी बात रखते हुए बीएमसी ने कहा कि अधिकारी कोविड-19 की वजह से जान गंवाने वालों के शवों का दफनाते समय सभी निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। बता दें, उप नगर बांद्रा के लोगों के एक समूह की ओर से दायर याचिका पर जवाब देते हुए बीएमसी ने कोर्ट में ये बातें कही है।
याचिकाकर्ता ने रोक लगाने की मांग की थी
दरअसल, लोगों ने अपनी याचिका में बांद्रा में स्थित कब्रिस्तान में कोरोना से होने वाली मौत को लेकर शवों को दफनाने पर रोक लगाने की मांग की थी। यह याचिका प्रदीप गांधी और अन्य द्वारा दायर की गई थी और दावा किया गया कि लोगों को इस बात का भय है कि अगर शवों का उचित तरीके से निस्तारण नहीं किया जाता है तो वायरस का सामुदायिक प्रसार हो सकता है।
बीएमसी ने हलफनामा में कही ये बात
हाई कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बीएमसी के सहायक चिकित्सा अधिकारी दीपक चह्वाण ने कहा, “शवों से कोविड-19 के संक्रमण का प्रसार नहीं होता है ।“ पीठ की अगुवाई जस्टिस दीपांकर दत्ता ने किया। अब इस मामले की सुनवाई बीस मई बुधवार को होगी। बीएमसी ने हलफनामे में कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोना वायरस से संक्रमित मृत शरीर के सुरक्षित निपटारन के लिए और संक्रमण की रोकथाम-नियंत्रण से संबंधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इबोला वायरस और हैजा जैसे, रक्तस्रावी बुखार के मामलों को छोड़कर, आमतौर पर मृत शरीर संक्रामक नहीं होते हैं। वहीं, इन्फ्लूएंजा महामारी से प्रभावित रोगियों के केवल फेफड़ों से संक्रमण फैल सकता है। यदि शवों का निपटारा सही तरीके से नहीं किया जाए।
कोई वैज्ञानिक आधार नहीं: बीएमसी
हलफनामा में बीएमसी ने यह भी कहा कि अभी तक इस बात का कोई साक्ष्य नहीं है कि कोई व्यक्ति किसी शव के कारण कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ हो और इसलिये याचिकाकर्ताओं की ओर से जो मसला उठाया गया है, उसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और यह पूरी तरह से गलत, त्रुटिपूर्ण एवं आधारहीन है।