नेपाल में बारिश के कारण बाढ़ और भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर रविवार को 125 हो गई। पुलिस ने यह जानकारी दी। काठमांडू घाटी में सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है। कम से कम 322 मकान और 16 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं। सुरक्षाकर्मियों ने करीब 3,626 लोगों को बचाया। सूत्रों ने बताया कि बचाव अभियान अब भी जारी है।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्होंने काठमांडू घाटी में पिछले 40-45 साल में इतनी विनाशकारी बाढ़ नहीं देखी। सशस्त्र पुलिस बल ने एक बयान में कहा कि मृतकों की संख्या 125 हो गई है।
काठमांडू के पास स्थित धादिंग जिले में शनिवार को एक बस के भूस्खलन की चपेट में आने से कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई। भक्तापुर शहर में भूस्खलन में एक मकान ढहने से पांच लोगों की मौत हो गई।
मकवानपुर में ‘ऑल इंडिया नेपाल एसोसिएशन’ द्वारा संचालित एक प्रशिक्षण केंद्र में भूस्खलन की घटना में छह फुटबॉल खिलाड़ियों की जान चली गई और अन्य लोग बाढ़ के पानी में बह गए। मंगलवार तक बारिश जारी रहने के अनुमान के बावजूद रविवार को थोड़ी राहत मिली।
‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलेपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) में जलवायु और पर्यावरण विशेषज्ञ अरुण भक्ता श्रेष्ठ ने कहा, ‘‘मैंने काठमांडू में पहले कभी इतने बड़े पैमाने पर बाढ़ नहीं देखी।’’
आईसीएमओडी द्वारा शनिवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया कि काठमांडू की मुख्य नदी बागमती शुक्रवार और शनिवार को पूर्वी तथा मध्य नेपाल में मूसलाधार बारिश के बाद से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
इसमें कहा गया कि बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति और मानसून की स्थिति के कारण शनिवार को असाधारण रूप से तीव्र वर्षा हुई।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे एशिया में बारिश की मात्रा और समय में बदलाव आ रहा है।
बाढ़ और भूस्खलन के कारण नेपाल के कई हिस्सों में जनजीवन ठप हो गया है। कई राजमार्ग और सड़कें अवरुद्ध हैं, सैकड़ों मकान और पुल बह गए हैं तथा सैकड़ों परिवार विस्थापित हो गए हैं। सड़क अवरुद्ध होने के कारण विभिन्न स्थानों पर हजारों यात्री फंसे हुए हैं।