इंडिया गठबंधन की 16 पार्टियों के 20 सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल 29-30 जुलाई को हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करेगा और जमीनी स्थिति का प्रत्यक्ष आकलन करेगा और फिर सरकार को सिफारिशें देगा। विपक्षी नेताओं ने एक दिन पहले यानी शुक्रवार को कहा कि हिंसा प्रभावित राज्य की समस्याओं के समाधान के लिए संसद की जरूरत है। प्रतिनिधिमंडल के सदस्य पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों में हिंसाग्रस्त स्थानों पर राहत शिविरों में भी जाएंगे, जायजा लेंगे और लोगों से बातचीत करेंगे।
प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई, टीएमसी की सुष्मिता देव, जेएमएम की महुआ माजी, डीएमके की कनिमोझी, एनसीपी की वंदना चव्हाण, आरएलडी के जयंत चौधरी, राजद के मनोज कुमार झा, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और वीसीके के टी तिरुमावलवन के शामिल होने की संभावना है। जद (यू) प्रमुख राजीव रंजन (ललन) सिंह, अनिल प्रसाद हेगड़े (जद-यू), सीपीआई के संदोश कुमार, सीपीआई (एम) के ए ए रहीम, समाजवादी पार्टी के जावेद अली खान, आईयूएमएल के ई टी मोहम्मद बशीर, आप के सुशील गुप्ता, अरविंद सावंत (शिवसेना-उद्धव ठाकरे), डी रविकुमार (डीएमके) और फूलो देवी नेताम (कांग्रेस) भी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे।
कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा, "हम एक संदेश लेकर जा रहे हैं कि हम उनके साथ खड़े हैं और हम क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए अपनी क्षमता से सब कुछ करेंगे। परसों सुबह 10 बजे भारतीय गठबंधन के सांसद भी राज्यपाल से मिलेंगे...।" उन्होंने कहा कि मणिपुर हिंसा को लेकर मोदी सरकार चर्चा के लिए तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी बयान देने के लिए तैयार नहीं हैं। मणिपुर में आज भी सूचना आई है कि हिंसा हो रही है। मणिपुर में कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं बची है। इंडिया गठबंधन ने तय किया है कि उनका एक प्रतिनिधिमंडल मणिपुर जाएगा। मणिपुर सरहदी राज्य है। इसलिए यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला भी है। मणिपुर में स्थिति अत्यंत गंभीर है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता टी आर बालू ने कहा कि विपक्षी प्रतिनिधिमंडल शनिवार सुबह मणिपुर के लिए रवाना होगा और पता लगाएगा कि क्या गलत हुआ, किस हद तक जान-माल का नुकसान हुआ। इसके बाद पार्टियां हिंसा प्रभावित राज्य की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार और संसद को सिफारिशें देंगी।
दौरे से पहले, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने मणिपुर में हिंसा की सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच कराने की मांग की। उन्होंने कहा, ''भाजपा यह तस्वीर पेश करना चाहती है कि मणिपुर में सब कुछ ठीक है, लेकिन हिंसा जारी है, इसलिए ऐसा नहीं है। इसलिए हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के तहत एक जांच कराई जाए कि राज्य सरकार कैसे विफल रही, कैसे क्या लोगों को इतनी मात्रा में हथियार मिले, प्रशासन क्या कर रहा था।''
साथ ही, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि मणिपुर और यहां के लोगों का दर्द समझना प्रधानमंत्री मोदी की जिम्मेदारी है। वे अलग-अलग राज्यों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं...हम मणिपुर जाएंगे और लोगों की समस्याएं समझेंगे...हमें उम्मीद है कि सरकार इसे सकारात्मक तरीके से लेगी और हम मदद करने जा रहे हैं, ना कि उनकी समस्याएं बढ़ाने के लिए, बीजेपी ने मुद्दे को भटकाने की कोशिश की और वे संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, विपक्षी गुट मांग कर रहा था कि उनके नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को राज्य का दौरा करने की अनुमति दी जाए, लेकिन अब तक उन्हें वहां की स्थिति को देखते हुए अनुमति नहीं दी गई है।
बता दें कि मणिपुर 3 मई से हिंसा की चपेट में है। कुकी और मैतेई समुदाय के जातीय संघर्ष के चलते राज्य में 150 लोगों की मौत हो चुकी है। संघर्ष की आग में कई लोगों के घरों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया है।