राजधानी दिल्ली के रोहिणी में चल रहे आध्यात्मिक विश्वविद्यालय पर शिकंजा कसते हुए हाई कोर्ट ने इसके संस्थापक वीरेंदर देव दीक्षित को चार जनवरी को पेश होने का आदेश दिया है। दिल्ली हाई कोर्ट की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायाधीश सी हरिशंकर की पीठ ने आश्रम की गतिविधियों की जांच कर रही सीबीआई से ढोंगी बाबा वीरेंदर का पता लगाने को कहा। आश्रम पर छापेमारी के बाद से वीरेंदर लापता है। आश्रम से सौ से ज्यादा महिलाएं और लड़कियां छुड़ाई गई थी। इनमें 41 नाबालिग हैं।
हाई कोर्ट ने वीरेंदर के आठ आश्रमों की विस्तार से रिपोर्ट भी मांगी है। इससे पहले गुरुवार को अदालत ने आश्रम के उन दावों पर संदेह जताया था जिसमें कहा था कि महिला अनुयायी अपनी मर्जी से आश्रम में रह रही थीं। अदालत ने कहा कि यदि ऐसा था तो उन्हें बंद दरवाजों में क्यों रखा गया था। यदि संस्थापक निर्दोष है तो वह सामने क्यों नहीं आ रहा। आश्रम के वित्तीय स्रोतों का पता लगाने के निर्देश भी अदालत ने दिए हैं।
हाई कोर्ट की ओर से नियुक्त समिति ने भी आश्रम का दौरा किया था। समिति ने बुधवार को अदालत को बताया था कि आश्रम के हालात अच्छे नजर नहीं आए। बच्चियों को जानवरों की तरह लोहे की सलाखों के पीछे रखा गया था और वे कांटेदार बाड़े से घिरी हुई थीं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक आश्रम से ड्रग्स, सीरिंज और कई आपत्तिजनक चीजें बरामद हुई हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने सीबीआई निदेशक को एसआईटी का गठन कर गहनता से मामले की जांच करने को कहा था।