दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार द्वारा राजधानी के हर नागरिक को लॉकडाउन के दौरान भोजन मुहैया कराने में विफलता को लेकर नाराजगी जताई है। दरअसल, हाई कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा था कि कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं रहना चाहिए। जिसके पूरा न होने को लेकर कोर्ट ने निराशा व्यक्त की है। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि 27 अप्रैल और 6 मई को कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को दिए गए आदेशों पर ध्यान नहीं दिया गया है। दिल्ली रोजी रोजी अधिकार अभियान (डीआरआरएए) की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की।
हर जरूरतमंदों को अनाज सुनिशिचित किया जाए: कोर्ट
बेंच ने अपने पहले के आदेश को दोहराते हुए कहा कि पुराने आदेशों का जो उद्देश्य था, वह पूरा नहीं किया गया है। इसलिए, दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली से गरीब, जरूरतमंद और हाशिए पर पड़े लोगों को अनाज की आपूर्ति की जाए। इन्हें राशन की दुकानों के अलावा दूसरे केंद्रों से भी अनाज दिया जाए।
ई-कूपन प्रणाली काफी कठिन प्रक्रिया: कोर्ट
बेंच ने ई-कूपन प्रणाली पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह आम लोगों के लिए उचित नहीं है क्योंकि यह काफी कठिन है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार के सचिव, सह-आयुक्त, विभागाध्यक्ष, खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामले विभाग को चार दिनों के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया, जिसमें स्पष्ट तौर पर 27 अप्रैल और 6 मई के निर्देशों को भी शामिल किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 26 मई को होगी।
डीआरआरएए ने अपनी याचिका कही ये बात
याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने राशन कार्ड न रखने वालों को ई-कूपन जारी करने के लिए जो प्रणाली अपनाई थी, वह काफी जटिल है। इसके लिए एक स्मार्टफोन, इंटरनेट का उपयोग करने की क्षमता, ओटीपी जनरेट करना, परिवार की तस्वीरें और आधार कार्ड की एक प्रति अपलोड करना और अंत में ई-कूपन डाउनलोड करना, यह जटिल प्रक्रिया है। डीआरआरएए ने अपनी याचिका में पीडीएस और ई-कूपन जैसे अन्य तंत्रों के माध्यम से खाद्यान्न के वितरण में पारदर्शिता को लेकर तत्काल मांग है। दलील देते हुए याचिकाकर्ता ने कहा कि इसे यह सुनिशिचित हो सकेगा कि कोई व्यक्ति इस लॉकडाउन के दौरान भूखा न रहे।