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हाइकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो कर्मियों की हड़ताल पर रोक लगाई

दिल्ली हाइकोर्ट ने शनिवार से शुरू होने वाली दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है।...
हाइकोर्ट ने दिल्ली मेट्रो कर्मियों की हड़ताल पर रोक लगाई

दिल्ली हाइकोर्ट ने शनिवार से शुरू होने वाली दिल्ली मेट्रो के कर्मचारियों की हड़ताल पर रोक लगा दी है। मामले की सुनवाई के बाद, जस्टिस विपिन सांघी ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि प्रथम द्रष्टया मेट्रो कर्मचारियों की प्रस्तावित हड़ताल उचित या कानूनी नहीं लगती है। कोर्ट ने कहा कि डीएमआरसी एक सार्वजनिक सेवा चला रही है जिसका इस्तेमाल दिल्ली के करीब 25 लाख लोग करते हैं। इस हड़ताल के लिए डीएमआरसी को पर्याप्त नोटिस नहीं दिया गया और अभी समझौता कार्यवाही प्रगति पर है।

समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार, डीएमआरसी ने तत्काल सुनवाई के लिए कार्यवाहक चीफ जस्टिस गीता मित्तल के पास याचिका दायर की थी जिसे उन्होंने सुनवाई के लिए जस्टिस सांघी के पास भेजा था। उन्होंने अपने पांच पेज के आदेश में कहा कि वह आवेदन के अनुसार अंतरिम राहत प्रदान करते हुए कर्मचारियों को तीन जून या इस मामले में अगला आदेश आने तक हड़ताल पर नहीं जाने का निर्देश देते हैं।  

डीएमआरसी स्टाफ काउंसिल के सचिव रवि भारद्वाज ने कहा कि वे हाइकोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं और हड़ताल पर नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि हमारा विरोध तबतक चलता रहेगा जबतक हमारा मांगें पूरी नहीं हो जातीं।

दरअसल, मेट्रो के नॉन एग्जीक्यूटिव कर्मचारियों ने कहा था कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे 30 जून से हड़ताल करेंगे। दिल्ली मेट्रो में लगभग 12,000 कर्मचारी काम करते हैं, जिनमें नौ हजार नॉन एग्जीक्यूटिव कर्मचारी हैं। इनमें कुछ कर्मचारी यमुना बैंक और शाहदरा मेट्रो स्टेशन पर 19 जून से ही अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।

दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन स्टाफ काउंसिल ने अपने सभी सदस्यों से प्रदर्शन में भाग लेने की अपील की थी। हालांकि, सभी ने इसमें भाग नहीं लिया। बता दें कि नॉन एग्जीक्यूटिव कर्मचारियों में ट्रेन ड्राइवर, स्टेशन कंट्रोलर, ऑपरेशंस और मेंटनेंस स्टाफ और टेक्नीशियन शामिल हैं।

कर्मचारियों की क्या हैं मांगे

कर्मचारी कई मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, जिनमें वेतन और पे-ग्रेड में संशोधन, कर्मचारियों को बर्खास्त करने के लिए उचित नियमावली, डीएमआरसी स्टाफ काउंसिल को कर्मचारी यूनियन में बदलने आदि की मांग शामिल हैं। काउंसिल के सचिव रवि भारद्वाज ने बताया, “हमारी पहली मांग है कि डीएमआरसी स्टाफ काउंसिल को कर्मचारी यूनियन में बदला जाए, क्योंकि काउंसिल कोई संवैधानिक इकाई नहीं है और इस तरह इसके पास कोई अधिकार नहीं हैं।”

डीएमआरसी के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कर्मचारियों की हड़ताल से मेट्रो की सेवा बुरी तरह प्रभावित हो सकती है, लेकिन हमलोग समाधान का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि पिछले कई दिनों से हड़ताल के दौरान सेवा बाधित नहीं हुई थी। भारद्वाज ने भी बताया कि शनिवार सुबह बैठक बुलाई गई है।

डीएमआरसी को मामला सुलझाने का निर्देश

उधर, दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने डीएमआरसी को अपने नॉन एग्जीक्यूटिव कर्मचारियो के साथ मामला सुलझाने का निर्देश दिया है। डीएमआरसी के मैनेजिंग डायरेक्टर को पत्र लिखकर कर्माचरियों और अधिकारियों के बीच बातचीत की रिपोर्ट की भी जानकारी मांगी है।

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