जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल द्वारा विधानसभा भंग किए जाने के बाद चुनाव आयोग का कहना है कि राज्य में नए चुनाव छह माह के भीतर करवाए जाएंगे। आयोग ने अगले साल तय लोकसभा के चुनाव से पहले चुनाव कराए जाने की संभावना से इनकार नहीं किया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ओ पी रावत ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव मई से पहले करवाए जाने चाहिए। यह संसदीय चुनाव से भी पहले हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार सदन को भंग किए जाने के छह माह की सीमा के भीतर चुनाव करवा लिए जाने चाहिए और यह अवधि मई 2019 आती है। उन्होंने साफ किया कि आयोग सभी पहलुओं पर विचार कर चुनाव तिथियों की घोषणा करेगा।
राष्ट्रपति की राय पर आया था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
चुनाव आयुक्त ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय राष्ट्रपति द्वारा मांगी गई राय पर आया था। उन्होंने कहा कि चुनाव पहला मौका मिलते ही होना चाहिए, जिसका अर्थ है कि छह माह से पहले भी हो सकता है। तेलंगाना पर भी यही सिद्धान्त लागू होता है, जहां विधानसभा को समय से पहले ही भंग कर दिया गया।
सरकार बनाने के दावों के बीच कर दी गई विधानसभा भंग
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बुधवार देर शाम राज्य विधानसभा को भंग कर दिया था। इससे कुछ ही घंटे पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की महबूबा मुफ्ती सईद ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाने का दावा राज्यपाल के समक्ष पेश किया था। उन्होंने 87 सदस्यीय विधानसभा में 56 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। उसके कुछ ही समय बाद पीपुल्स कांफ्रेंस नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया। लोन के पास दो विधायक हैं और उन्होंने भाजपा के 25 और 18 से अधिक अन्य विधायकों का समर्थन होने का दावा किया था।