भोपाल के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को विधानसभा सचिवालय भर्ती घोटाला मामले में शनिवार को जमानत मिल गई। सिंह आज सुबह अपने वकीलों के साथ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश काशीनाथ सिंह की अदालत में पेश हुए। इसी अदालत से शुक्रवार को मामले में पूरक चार्जशीट दायर किए जाते समय समन के बावजूद उपस्थित नहीं होने के लिए सिंह के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। पुलिस ने इस मामले में कल अदालत में 169 पृष्ठों की पूरक चार्जशीट पेश की है। शनिवार को अदालत में उपस्थित होने के बाद अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिंह ने कांग्रेस महासचिव को इस मामले में तीस हजार रूपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। अभियोजन एजेंसी मध्यप्रदेश पुलिस ने सिंह की जमानत अर्जी का अदालत में विरोध नहीं किया।
अदालत में सिंह के साथ सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील विवेक तन्खा के अलावा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी एवं बडी संख्या में पार्टी नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे। तन्खा ने अदालत में अपने मुवक्किल का पक्ष रखते हुए कहा कि उनके पक्षकार एक जाने-माने राजनीतिज्ञ हैं और वह कल अदालत में इसलिए उपस्थित नहीं हो सके, क्योंकि उसी दिन उज्जैन में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उन्हें मौजूद रहना था, जिसकी योजना बहुत समय पहले से बनी हुई थी। कांग्रेस महासचिव एवं राज्यसभा सदस्य सिंह के वकील ने कहा, मेरे पक्षकार अदालत का पूरी तरह सम्मान करते हैं और उनकी उससे भागने की कोई मंशा नहीं थी, क्योंकि वह इस प्रकरण में पहले ही पुलिस में अपने बयान दर्ज करा चुके हैं। उन्होने कहा, यह प्रकरण राजनीति से प्रेरित है और उनके पक्षकार द्वारा प्रदेश के व्यापमं घोटाले को जोरशोर से उठाने का नतीजा है, जबकि जांच समिति ने भी अदालत में चार्जशीट किए गए प्रकरण में सिंह के खिलाफ कुछ भी गलत नहीं पाया था। तन्खा ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल एक सम्मानित राज्यसभा सदस्य एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हैं और एक राजनेता के बतौर उनकी साफ-सुथरी छवि है, इसलिए उनकी जमानत मंजूर की जानी चाहिए।
दिग्विजय सिंह के वकील की दलीलों और जमानत अर्जी का अभियोजन एजेंसी द्वारा विरोध नहीं किए जाने पर अदालत ने उन्हें जमानत का लाभ प्रदान कर दिया। पुलिस द्वारा कल अदालत में इस मामले में पूरक चार्जशीट पेश किए जाते समय के के कौशल एवं ए के प्यासी सहित सात आरोपी मौजूद थे, जिन्हें तीस-तीस हजार रूपये के निजी मुचलके पर जमानत मिल गई थी। कौशल एवं प्यासी मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व अधिकारी हैं। इस मामले में चार्जशीट दाखिल करने से पहले पिछले साल पुलिस ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिंह से लगभग पांच घंटे तक पूछताछ की थी। यह मामला 1993 एवं 2003 का है, जब राज्य विधानसभा सचिवालय में कुछ भर्तियों में अनियमितताओं का आरोप है। उस समय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे।
गौरतलब है कि पुलिस पूछताछ में सिंह ने कहा था कि विधानसभा सचिवालय में सभी नियुक्तियां मंत्रिमण्डल की मंजूरी और तय नियमों के तहत ही की गई थीं। इस मामले में सभी आरोपियों पर जालसाजी, ठगी, साजिश एवं पद के दुरूपयोग के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए गए हैं।