राम मंदिर चंदा मांगने वालों पर हुई पत्थरबाजी की घटनाओं को लेकर मध्य प्रदेश में सियासत तेजी हो गई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले में एक दूसरे पर हमले शुरू कर दिये है। दिग्विजय सिंह ने जहां पर इस घटना की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है तो वहीं शिवराज सिंह ने उन पर आरोप लगाये है कि सिमी उन्हीं के कार्यकाल में पनपा था।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उज्जैन, इंदौर और मंदसौर में हुई पत्थरबाजी की घटनाओं के बाद सरकार की कार्रवाई पर संदेह जताते हुए इसकी जांच पुलिस महानिदेशक या मुख्य सचिव स्तर के रिटायर अफसर से कराने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में मध्य प्रदेश के पुलिस महादिनेशक को ज्ञापन सौंपा। उसके बाद उन्होने कहा कि जब में मुख्यमंत्री था, तब धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर सख्त एक्शन लिए गए थे। तीन शहरों में हुई घटनाओं को लेकर एसपी और कलेक्टर की जवाबदेही तय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आईएएस और आईपीएस को किसी पार्टी का गुलाम बन कर काम नहीं करना चाहिए।
उनके इस बयान पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पलटवार करते हुए कहा कि यदि ऐसा था तो दिग्विजय सिंह यह बताएं कि मध्य प्रदेश में सिमी किसके जमाने में पनपा था? उन्होंने आगे कहा-दिग्विजय के बारे में क्या कहूं। वे मनचाहा बोलते हैं और अनचाहा सुनते हैं। वे बताएं कि प्रदेश का बंटाढार कब हुआ? जिसने प्रदेश को तबाह कर दिया, प्रदेश के लोगों को सड़क,बिजली और पानी से वंचित कर दिया था। रोज तनाव की घटनाएं होती थीं। वे आज हमें पाठ पढ़ा रहे हें। मप्र सरकार माफिया, चिटफंड के नाम पर धोखा देने वालों रेव पार्टी करने वालों और पत्थरबाजी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रखेगी। ऐसे लोगों को दिग्विजय तो क्या कोई नहीं बचा पाएगा।