बिजली को लेकर केंद्र और राज्य के बीच टकराव बढ़ गया है। इसमें केंद्र और राज्य के साथ तीसरा कोण ममता बनर्जी भी हैं। त्रिपक्षीय समझौते के हवाले से डीवीसी ( दामोदर घाटी निगम) के बकाया बिजली की राशि केंद्र द्वारा राज्य के खजाने से काट ली गई तो झारखंड सरकार को यह गहरे लगा। केंद्र द्वारा खुद राशि काटने की स्थिति न बने इसके लिए हेमन्त कैबिनेट ने दो दिन पहले उस त्रिपक्षीय समझौते से ही अलग होने का फैसला कर लिया। जानकार बताते हैं कि भीतर ही भीतर तीखी प्रतिक्रिया हुई और डीवीसी ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए बकाया भुगतान नहीं होने पर आपूर्ति वाले सात जिलों में ब्लैक आउट की धमकी दे दी है। इससे धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, गिरिडीह, रामगढ़, कोडरमा और चतरा में पूरी तरह अंधेरा छा जायेगा। डीवीसी द्वारा इन जिलों के लिए बिजली आपूर्ति की जाती है।
डीवीसी का ज्यादा बकाया होने पर केंद्र, राज्य के खजाने से खुद राशि काट ले इसके लिए भाजपा की रघुवर सरकार के समय में ऊर्जा मंत्रालय, आरबीआइ और झारखंड सरकार के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ था। बिजली मद में डीवीसी का करीब साढ़े पांच हजार करोड़ का बकाया हो गया तो अक्टूबर महीने में केंद्र ने कोई 1400 करोड़ रुपये राज्य के खजाने से काट लिया और जनवरी में दूसरी किश्त के रूप में करीब 750 करोड़ रुपये काटने का नोटिस भी पकड़ा दिया, इसकी प्रक्रिया भी शुरू है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन कहते हैं कि ऐसा सिर्फ झारखंड के साथ हुआ जबकि दूसरे राज्यों का इससे ज्यादा बकाया है मगर राशि नहीं काटी गई। साथ ही रघुवर सरकार के समय का ही पांच हजार करोड़ से अधिक का बकाया था। हमारी सरकार आने के बाद राशि का भुगतान भी किया गया है। उपरोक्त विषयों की चर्चा के साथ कोरोना काल में राज्य का खजाना खाली होने का हवाला देते हुए हेमन्त सोरेन ने राशि वापसी के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भी लिखा मगर कोई असर नहीं हुआ। अंतत: इसी बुधवार को कैबिनेट की बैठक में त्रिपक्षीय समझौते से झारखंड ने खुद को अलग करने का निर्णय किया। यह तय किया कि हम जितनी बिजली खरीदेंगे उसका भुगतान करेंगे।
इधर डीवीसी अपनी बकाया राशि को लेकर दबाव बनाये हुए था और बिजली आपूर्ति में कोई एक सप्ताह से अधिक से कटौती कर रहा था। डीवीसी ने कटौती को बढ़ाकर पचास फीसद कर दिया था। हेमन्त कैबिनेट के फैसले के बाद डीवीसी ने आपूर्ति पूरी तरह बंध करने की धमकी दे दी है। गुरुवार देर रात डीवीसी मुख्यालय ने स्पष्ट किया कि झारखंड बिजली वितरण निगम द्वारा बकाया का भुगतान नहीं किये जाने पर उसके लेटर ऑफ क्रेडिट को भुनाकर डीवीसी कमांड एरिया को ब्लैक आउट कर देगा। डीवीसी के पास पेमेंट गारंटी के रूप में झारखंड बिजली वितरण निगम का 177 करोड़ रुपये का लेटर ऑफ क्रेडिट है। हालांकि इसमें शर्त यह भी है कि डीवीसी इसे तब तक नहीं भुना सकता जब तक बिजली वितरण निगम बिजली का भुगतान करता रहेगा। लेटर ऑफ क्रेडिट के भुनाने और ब्लैक आउट की धमकी से रिश्तों के तीखापन को समझा जा सकता है। डीवीसी के अनुसार जनवरी 2020 यानी हेमन्त सरकार के आने के बाद से डीवीसी का बिजली मद में 1960.20 करोड़ रुपये बकाया हो गया है मगर भुगतान सिर्फ 893.18 करोड़ रुपये का हुआ है।
एक वरीय अधिकारी ने कहा कि मामला राजनीतिक होता जा रहा है। विपक्षी सरकार होने के कारण केंद्र ने झारखंड के खजाने से बिजली का पैसा काट लिया। तो हेमन्त सरकार ने उस त्रिपक्षीय समझौते से ही अलग होने का फैसला कर लिया। डीवीसी से निर्भरता कम करने के मकसद से राज्य सरकार अपने प्रयास कर रही है। इसी क्रम में दो साल से प.बंगाल के मुख्यमंत्री के पास लटके प्रस्ताव को ममता बनर्जी ने मंजूरी दे दी। चंदनकियारी-गोविंदपुर बिजली लाइन की मंजूरी से धनबाद और बोकारो से डीवीसी पर निर्भरता खत्म होगी। और इस लाइन को प.बंगाल से छह किलोमीटर गुजरना है, मंजूरी के अभाव में काम ठप था। प.बंगाल में जल्द ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में दो साल से लटके प्रस्ताव को मंजूरी को ममता से हेमन्त सोरेन की बढ़ती नजदीकी के चश्मे से भी देखा जा रहा है।