अतिरिक्त जिला न्यायाधीश अजय कुमार श्रीवास्तव ने वर्ष 2004 के इस मामले में शहाबुद्दीन और उनके तीन सहयोगियों राजकुमार शाह, शेख असलम और आरिफ हुसैन को उम्र कैद की सजा मुकर्रर की। अदालत ने बुधवार को चारों आरोपियों को हत्या, फिरौती के लिए अपहरण, अपराध से जुड़े साक्ष्यों को छिपाने और आपराधिक साजिश रचने की धाराओं के तहत दोषी ठहराया था। शहाबुद्दीन और अन्य लोगों की मौजूदगी में आज सजा तय की गई। अदालत ने इस मामले में शहाबुद्दीन पर 20,000 रूपये का आर्थिक दंड भी लगाया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 16 अगस्त, 2004 को चंद्रशेखर प्रसाद के तीन बेटों को उनके गौशाला रोड स्थित मकान से राजकुमार शाह, शेख असलम और आरिफ हुसैन ने अगवा किया और उन्हें प्रतापपुर गांव लेकर गये जहां गिरीश और सतीश पर तेजाब डाला गया जिससे उनकी मौत हो गई थी। उनका एक बेटा राजीव रोशन भागने में सफल रहा था। दोनों भाइयों के शवों को बरामद नहीं किया जा सका था। पीड़ितों की मां कलावती देवी ने अपने बेटों की हत्या के लिए शहाबुद्दीन के तीन सहयोगियों पर आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
जांच के दौरान राजद के पूर्व सांसद का नाम सामने आया और उनको भी तीन भाइयों के अपहरण की साजिश रचने का आरोपी बनाया गया। राजीव रोशन इस मामले में चश्मदीद गवाह बना लेकिन पिछले साल 16 जून को अज्ञात हमलावरों ने उसकी हत्या कर दी। विभिन्न मामलों में शहाबुद्दीन पिछले कई वर्षों से सीवान जेल में बंद है।
राजद के सदस्य के रूप में शहाबुद्दीन वर्ष 1996 से लेकर 2009 तक चार बार सीवान संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। दोषी ठहराये जाने के बाद वह वर्ष 2009 और 2014 में संसदीय चुनाव नहीं लड़ सके। उनकी पत्नी हीना सहाब ने राजद के टिकट पर वर्ष 2009 और 2014 में सीवान संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन दोनों ही बार ओमप्रकाश यादव ने उन्हें हरा दिया।