अफीम उत्पादन के लिये देश में मशहूर मालवांचल क्षेत्र में इस समय अफीम को डोडों से निकालने का काम जोरशोर से चल रहा है। यहां के तोते अफीम के नशे के आदी होकर अफीम के डोडों को काफी नुकसान पहुंचा रहे हैं। तोते खेतों में ताक लगा कर बैठे रहते हैं और जैसे ही मौका मिलता है, वे अफीम के डोडों पर हमला कर उसे काटने के साथ ही कुरेद देते हैं। इससे किसान को खासा नुकसान उठाना पड़ता है।
किसान रातभर जागकर जहां चोर और लुटेरों से फसल बचाने में लगा है तो वहीं अब दिन में भी तोतों के कहर के चलते परेशानियों का सामना करने को मजबूर है।
किसानों ने तोतों से अपनी फसल को बचाने के लिए हजारों रुपये खर्च कर पूरे के पूरे खेत जालियों से कवर कर रखे हैं। इसके बावजूद तोते इस नशे के इतने आदी हैं कि वे जहां तहां से रास्ता निकालकर अफीम को चट करने में लग जाते हैं।
किसान खेतों में आवाजें लगाने के साथ पत्थर मारकर इन्हें भागते भी हैं लेकिन इन तोतों पर अफीम का नशा इस कदर हावी है की ये लाख जतन के बावजूद खेतों से नहीं भागते हैं और आसपास ही मंडराते रहते हैं।
भोलियावास गांव के किसान रामगोपाल धाकड़ का कहना है कि पहले तो वह अफीम को प्रकृति की मार, चोर लुटेरों या नीलगाय के आतंक से बचाने की जद्दोजहद में लगे रहते थे, लेकिन अब कुछ साल से तोतों ने भी अफीम को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया है।
इससे लगता है की अब ये तोते भी अफीम के नशे के शौकीन हो गए हैं क्योंकि ये झुण्ड के झुण्ड में आकर अफीम के डोडों को कुतरते हैं और अगर ध्यान नहीं दिया जाये तो फसल को भारी नुकसान भी पहुंचा देते हैं।
वहीं, किसान मोहन नागदा ने कहा, पहले तो हमारी रात ही काली होती थी लेकिन अब तोतों ने दिन भी काले कर दिए हैं। दिन में भी एक मिनट के लिए हम अफीम की फसल को नहीं छोड़ सकते हैं, कोई न कोई खेत पर होता है। तोतों को उड़ाने और भगाने के लिए एक आदमी को खेत पर अवश्य होना चाहिये नहीं तो ये हमारी अफीम को चट कर देते हैं। भाषा