हरियाणा के किसानों की तर्ज पर पंजाब के किसानों को भी एक अप्रैल से शुरु होने वाली गेहूं की खरीद का भुगतान एएफसीआई सीधे उनके बैंक खाते में करेेगा। केंद्र के इस कदम से जहां तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों को बड़ी राहत मिली है वहीं प्रदेश के 45,000 से अधिक आढ़ती परेशान हैं। किसानों के बैंक खाते में सीेधे ऑनलाइन भुगतान से गेहूं की खरीद का ही करीब 24 हजार करोड़ रुपए आएगा। पिछले साल एफसीआई ने हरियाणा के किसानों को भी सीधे बैंक खाते में ऑनलाइन भुगतान शुरु किया है। पंजाब के किसानों की भी लंबे समय से मांग रही है कि उन्हें भी आढ़तियों के जरिए होने वाले भुगतान की बजाय सीधी भुगतान किया जाए।
राज्य सरकार और विपक्ष शिरोमणी अकाली दल में गहरी पैंठ रखने वाले आढ़ती लॉबी नहीं चाहती कि फसल का सीधा भुगतान किसानों को हो। सालभर में पंजाब के किसानों को केंद्रीय पूल के लिए खरीदे जाने वाले गेहूं व चावल का करीब 48,000 करोड़ रुपए का भुगतान होता है। एफसीआई के किसानों को सीधे भुगतान के फैसले पर 22 मार्च काे आढ़ती एसोसिएशन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह से मुलाकात करेंगी। अभी तक पंजाब के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के मंत्री भारत भूषण आशू ने कृषि और खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में किसानों को सीधे भुगतान और खेती जमीन के रिकार्ड को आधार कार्ड से जोड़ने के मसले पर चर्चा की है। खेती जमीन को अाधार लिंक करने के एफसीआई के फैसले का किसानों में भी भारी विरोध है।
किसानों को सीधे भुगतान को लेकर एफसीआई की मंशा खर्च का बोझ घटाने की है। आढ़तियों का ढाई फीसदी कमीशन घटाकर एक फीसदी किया जा सकता है। इसे लेकर पंजाब के आढ़तियों ने गेहूं के आगामी खरीद सीजन में एक अप्रैल से हड़ताल पर जाने का एलान किया है। शिरोमणी अकाली दल से जुड़ी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान रविंदर सिंह चीमा और कांग्रेस से जुड़े पंजाब आढ़ती एसोसिएशन के विजय कालड़ा के मुताबिक किसानों की ओर आढ़तियों का करीब 35,000 करोड़ कर्ज बकाया है। सदियों से चली आ रही इस व्यवस्था में किसानों को बैंकों की बजाय इमरजेंसी में आढ़तियों से ही कर्ज मिलता है। सीधे भुगतान से आढ़तियों व किसानों के बीच उधारी लेन देन खत्म हो जाएगा जिससे किसानों को परेशानी होगी। इसके अलावा मंडियों में फसल की सफाई, खरीदकर उसे बोरियों में भरने और लोडिंग-अनलोडिंग का काम भी आढ़ती ही कराते हैं।