आयुक्त :पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय: अनुपम राजन ने बताया, पुरातत्व विभाग के श्रीधर वाकणकर पुरातत्व शोध संस्थान द्वारा मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के तहसील बड़वाह में नर्मदा घाटी स्थित मेहताखेड़ी में उत्खनन में पुरातात्विक उत्खनन से बेशकीमती 50 हजार वर्ष पुराने 350 दुर्लभ पुरावशेष मिले हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण नई दिल्ली से वर्ष 2017 के जनवरी माह में अनुमति प्राप्त होने के बाद देश की प्रसिद़ध पुरातत्वविद, डेक्कन कॉलेज पूना की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर शीला मिश्रा के नेतृत्व में उत्खनन दल का गठन किया गया। संस्थान की ओर से शोध अधिकारी डॉ. जिनेन्द्र जैन, शोध सहायक डॉ. धवेन्द्र सिंह जोधा एवं डेक्कन कॉलेज के शोधार्थी डॉ. नीतू अग्रवाल, नम्रता विश्वास और गरिमा खन्सीली को यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
राजन ने बताया, प्रोफेसर शीला मिश्रा एवं गठित दल ने फरवरी के द्वितीय सप्ताह में उत्खनन का कार्य शुरू किया। एक पखवाड़े में ही टेन्च क्रमांक-1 से 200 पुरावशेष एवं टेन्च क्रमांक-2 से 150 पुरावशेष मिल चुके हैं। इनका विश्लेषण कर निष्कर्ष निकाले जायेंगे।
उन्होंने कहा कि इस तरह के उत्खनन में भू-गर्भीय जमाव, पुरा-भौगोलिक विश्लेषण और उपकरण प्रारूप के आधार पर मानव सभ्यता के विकास का अध्ययन किया जाता है। उत्खनन में प्राप्त मिट्टी को घोलकर व छानकर सूक्ष्म अवशेषों को खोजने का काम किया जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रो. शीला मिश्रा ने वर्ष 2009 में कराये गये उत्खनन से आधुनिक मानव से संबंधित अवशेष शुतुरमुर्ग के अंडे के टुकड़े प्राप्त किये थे। इन माइक्रो-ब्लेड की तिथि फिजिकल रिसर्च लेबोरेटी अहमदाबाद के प्रो. सिंघवी द्वारा 50 हजार वर्ष पुरानी आंकी गई है।
राजन ने बताया, हाल ही में किए गए पुरातत्वीय और जैवकीय अनुसंधानों के निष्कर्ष से पता चलता है कि आज का मानव अनेक विभिन्नताओं के बावजूद एक लाख वर्ष पहले के दक्षिण अफ्रीका से प्रसारित समूहों से संबंध रखता है। मेहताखेड़ी क्षेत्र का मानव 50 हजार साल पहले अफ्रीका से विश्व में फैले मानव समूह से संबंधित है।
उन्होंने कहा, मेहताखेड़ी से मिले प्राचीनतम पुरावशेष प्रमाणित करते हैं कि मध्यप्रदेश में प्राचीन, दुर्लभ ऐतिहासिक सामग्री प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। भाषा