मंगलवार को जन अधिकार पार्टी (जाप) प्रमुख पप्पू यादव को लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद टाउन डीएसपी सुरेश प्रसाद ने कहा, "लॉकडाउन के उल्लंघन और सरकारी कार्य में बाधा के लिए कार्रवाई की गई है। कानूनी कार्रवाई की जा रही है।" बिहार पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई के बाद पप्पू यादव ने कहा, “सरकार मुझे क्यों गिरफ्तार करवाई है। मैंने किस कानून का उल्लंघन किया है, ये प्रशासन ही बताएगा।“
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में देश और राज्य में कोरोना से स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटीलेटर के मुहाने खड़ी हो गई है। लोगों को एंबुलेंस, अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, दवा... मिलने में जद्दोजहद करनी पड़ रही है। वैसे समय में रूडी के यहां से बीते दिनों दर्जनों सरकारी एंबुलेंस के मिलने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन, अब इस पर सरकार की तरफ से किसी भी तरह की कोई प्रतिक्रिया आने की बजाय पप्पू यादव पर गिरफ्तारी के जरिए शिकंजा कसने की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि, खबर लिखे जाने तक उन्हें गांधी मैदान थाने में ही रखा गया है। वहीं, लगातार समर्थक उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं।
पप्पू यादव ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है, "सरकारों को कोरोना की तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी करनी चाहिए तो पप्पू यादव से लड़ रहे हैं हमारे साथ सेवा में, मदद में, जिंदगी बचाने में प्रतिस्पर्धा करो न! फंसाने और जेल भेजने की साजिश में समय जाया क्यों कर रहे हो? पूरे बिहार में मामला खोज रहे हैं,कैसे फंसाकर अपनी नाकामी छुपाएं।"
पिछले दिनों पूर्व सांसद पप्पू यादव छपरा पहुंचे थे। यादव ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद राजीव प्रताप रूडी के अमनौर दफ्तर का दौरा किया था। जहां उन्होंने तिरपाल से ढके दर्जनों एंबुलेंस की बात कही और इसका वीडियो भी शेयर किया। जिसके बाद से नीतीश सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। पप्पू यादव ने खड़ी 30 एंबुलेंस का वीडियो ट्वीटर पर शेयर करते हुए कहा था, "सांसद निधि से खरीदी गई एंबुलेंस किसके निर्देश पर छिपाकर रखी गई हैं। इसकी जांच हो। डीएम सारण, सिविल सर्जन यह बताएँ। रूडी जवाब दें।" मामले के सामने आने के बाद रूडी ने वीडियो संदेश के जरिए कहा, "ड्राइवर के अभाव में ये एंबुलेंस खड़ी है। यदि पप्पू यादव इसकी व्यवस्था करवाते हैं तो वो सभी एंबुलेंस सौंपने के लिए तैयार हैं।" जिसके तुरंत बाद पप्पू यादव ने भी ड्राइवरों के उपलब्ध होने की बात कहते हुए चुनौती दे डाली। वहीं, राजीव प्रताप रूडी ने पप्पू यादव से कहा, "वो मधेपुरा में ही राजनीति करें।"
आउटलुक से बातचीत में जाप प्रवक्ता मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह कहते हैं, "ये जनता की आवाज को दबाने के लिए उठाया गया कदम है। सरकार अपनी छवि बचाने में जुटी हुई है और जनता अस्पतालों में और उसके बाहर बिना इलाज के दम तोड़ने को मजबूर है। पटना और दिल्ली की सरकार ने लोगों को सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया है। इसीलिए पार्टी ने 'क्षुब्ध ह्दय बंद जुबान, जनता मांग रही इंसाफ' के जरिए सत्ता तक लोगों की पीड़ा को रखा है। लोग एंबुलेंस के बिना मर रहे हैं, सड़क पर तड़प रहे हैं और किसी नेता के यहां दर्जनों एंबुलेंस सड़ रही है। इस अन्याय का जवाब देना पड़ेगा। जनता इसका हिसाब मांगेगी और कभी माफ नहीं करेगी।"
(2019 में पटना में जल-जमाव के दौरान लोगों तक मदद पहुंचाते पप्पू यादव, फोटो- इंडियन एक्सप्रेस)
दरअसल, पप्पू यादव की छवि कुछ सालों में बिहार की जनता के लिए एक मसीहा के तौर पर बनकर उभरी है। पटना में कई सालों से हो रहे जल-जमाव, बाढ़ से लेकर राज्य में कोरोना संकट के बीच अस्पतालों का निरीक्षण करने और पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने के साथ-साथ प्रशासन-डॉक्टरों से व्यवस्था को दुरूस्त करने की अपील करते हुए नजर आते रहे हैं। पप्पू यादव ने बिहार स्वास्थ्य विभाग को 'मौत विभाग' करार दे डाला है। वहीं, 'सुशासन बाबू' की पोल भी पप्पू यादव ने कई बार खोली है। बाढ़ के दौरान भी पप्पू यादव ट्रैक्टर पर सवार होकर लोगों तक राशन-पानी और जरूरी चीजें मुहैया कराते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। यहां तक की कई बार यादव गंदे नाले में लोगों तक मदद पहुंचाते हुए देखे गए हैं। ये उस साल की बात है जब राज्य के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी परिवार और अपने दल-बल के साथ बाढ़ से बचने के लिए एक पुल के पास नजर आए थे।
बिहार में कोरोना संक्रमण से हो रहे मौत के आंकड़ों पर भी यादव ने सवाल उठाए हैं और पटना के कई श्मशान घाटों का निरीक्षण कर वहां से तस्वीरें जारी किया है जो सरकारी मौत के आंकड़ों की कलई खोलती है। अब उन्हें लॉकडाउन का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। राज्य में 15 मई तक पाबंदी लागू है।